स्कूल की छुट्टिया
अप्रैल ।। परीक्षाओं केवल दो सप्ताह पहले स्वामीनाथन को लगा कि पिताजी का मिजाज बाल खराब होता
जा रहा है। ये बात का बतंगड़ बनाने लाय, जैव महान अचानक अपने बेटे को तंग करने का सिला कर
लिया हो। अगर वह दादी में गपशप कर रहा होता है तो उससे कहा जाता है, "पार रखा, परीक्षा नजदीक है।
तुम्हारी दादी इंतजार कर सकती है, लेकिन परीक्षा इंतजार नहीं करेगी।" अगर वह माँ के पील- बील भागता नजर
आएगा तो उसे ,लवाकर पढ़ाई करने का आदेश दिया आएगा। अगर तालुका दामतर के बोकनी बनाने के
बाद उसकी आवाज कहीं सुनाई देगी तो पिता के कमरे से आवाज आएगी, “वामी, तुम अभी सोए नहीं? तुम्हें
सुबह जल्दी उठना और पढ़ना है।" स्वामीनाथन के जीवन का यह बहुत कठिन समय था।
एक दिन उसने चिलकर पिता से कहा, "आप परीक्षा को लेकर इतने परेशान क्यों है?"
"तुम फेल हो गए तो?"
" नहीं हो सकते, लेकिन तब जब तुम पढ़ोगे और सवालों का टीक जवाब दोगे मान लो कि तुम फल हो जाते
POAN
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क्वेश्चन इस टू लॉन्ग।।।।।।।।
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