Hindi, asked by kgova185, 1 year ago

स्कुलो में शिक्षा पर दो महिलाओं का संवाद लेखन कीजिए

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Answered by shishir303
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               स्कूलों में शिक्षा पर दो महिलाओं के बीच संवाद

(स्कूलों में शिक्षा को लेकर दो महिलाओं करुणा और शालिनी के बीच संवाद होता है)

करुणा : बहन, आजकल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना बहुत कठिन कार्य हो गया है।

शालिनी : हाँ बहन, तुम ठीक कह रही हो। हमारी तो हालत खराब हो जाती है बच्चों के स्कूल की भारी-भरकम फीस भरते हुए।

करुणा : हाँ बहन, यही हाल हम लोगों का भी है। अगर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलानी है तो प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराना पड़ता है और जहाँ पर इतनी ज्यादा फीस होती  है कि माँ-बाप की कमर टूट जाती है फीस भरते-भरते।

शालिनी : हाँ और अगर सरकारी स्कूलों की तरफ जाएं तो वहाँ पर शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है। ना ही शिक्षक विद्यार्थियों पर ध्यान देते हैं और ना ही विद्यार्थी ढंग से पढ़ाई करते हैं।

करुणा : हाँ, इसी कारण तो हमें मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना पड़ता है और प्राइवेट स्कूल वाले फीस के बारे में अपनी मनमानी करते हैं।

शालिनी : प्राइवेट स्कूलों की फीस के मामले में मनमानी और सरकारी स्कूलों की खराब हालत से गरीब आदमी के वश की बात नही रह गयी है, कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सके।

करुणा : हाँ, बिल्कुल ठीक कहा।

शालिनी : हमारी सरकारों को इस विषय में कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। सरकारी स्कूलों की हालत सुधारनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला कराएं और प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगे।

करुणा : पता नही हमारी सरकारें कब इस बारे में कुछ ठोस कदम उठायेंगी।

Answered by mausams2013
0

Answer:

करुणा : बहन, आजकल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना बहुत कठिन कार्य हो गया है।

शालिनी : हाँ बहन, तुम ठीक कह रही हो। हमारी तो हालत खराब हो जाती है बच्चों के स्कूल की भारी-भरकम फीस भरते हुए।

करुणा : हाँ बहन, यही हाल हम लोगों का भी है। अगर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलानी है तो प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराना पड़ता है और जहाँ पर इतनी ज्यादा फीस होती है कि माँ-बाप की कमर टूट जाती है फीस भरते - भरते ।

शालिनी : हाँ और अगर सरकारी स्कूलों की तरफ जाएं तो वहाँ पर शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है। ना ही शिक्षक विद्यार्थियों पर ध्यान देते हैं और ना ही विद्यार्थी ढंग से

पढ़ाई करते हैं।

करुणा : हाँ, इसी कारण तो हमें मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना पड़ता है और प्राइवेट स्कूल वाले फीस के बारे में अपनी मनमानी करते हैं।

Explanation:

करुणा : बहन, आजकल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना बहुत कठिन कार्य हो गया है।

शालिनी : हाँ बहन, तुम ठीक कह रही हो। हमारी तो हालत खराब हो जाती है बच्चों के स्कूल की भारी-भरकम फीस भरते हुए।

करुणा : हाँ बहन, यही हाल हम लोगों का भी है। अगर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलानी है तो प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराना पड़ता है और जहाँ पर इतनी ज्यादा फीस होती है कि माँ-बाप की कमर टूट जाती है फीस भरते - भरते ।

शालिनी : हाँ और अगर सरकारी स्कूलों की तरफ जाएं तो वहाँ पर शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है। ना ही शिक्षक विद्यार्थियों पर ध्यान देते हैं और ना ही विद्यार्थी ढंग से

पढ़ाई करते हैं।

करुणा : हाँ, इसी कारण तो हमें मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना पड़ता है और प्राइवेट स्कूल वाले फीस के बारे में अपनी मनमानी करते हैं।

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