Hindi, asked by prasantadutta9166, 1 year ago

स्कूल पत्रिका के लिए लेख ( कहानी,कविता,चुटकुले आदि)

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Answered by bhatiamona
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स्कूल पत्रिका के लिए लेख ( कहानी,कविता,चुटकुले आदि)

स्कूल मैगजीन एक सावधिक पत्रिका होती है। स्कूल मैगजीन में निबन्ध, कवितायें, कहानियों तथा अन्य लेख होते हैं । स्कूल पत्रिका को हम हिन्दी और अथवा अंग्रेजी भाषा में लिक्ख सकते है।

स्कूल पत्रिका में ( कहानी,कविता,चुटकुले आदि) होते हैं।

स्कूल पत्रिका में विद्यार्थी  कोई कहानी लिखता है, और कविता और चुटकुले।

कविता

यह हमारा विद्यालय है,  

शिक्षा का उत्तम आलय है।

पढ़ते यहां हम सब बच्चे

नियम-रीति में हैं सब सच्चे।

इंग्लिश यहां सिखाई जाती है

हिन्दी यहां पढ़ाई जाती है।

गणित यहा समझाई जाती है

कला यहा सिखलाई जाती है।

शिक्षक सभी गुणी विद्वान

देते विद्या का नित दान।भाईचारे की शिक्षा देते

देशभक्ति का पाठ पढ़ाते।

ये शिक्षा का उत्तम आलय है

यह हमारा विद्यालय है।

चुटकुले

शिक्षक : "तुम्हे आने में देर क्यों हुई?"

विद्यार्थी : "जी, रास्ते में बोर्ड लगा हुआ था, ‘आगे स्कुल हैं-कृपया धीरे चलें'"

शिक्षक : "ऐसा कोई उदाहरण बताओ जो साबित करे कि गरमी से चीज़े फैलती हैं तथा ठंड में सिकुड़ती हैं."

विद्यार्थी : "गर्मीयों में दिन बड़े होते हैं तथा सर्दीयों में छोटे."

कहानी  

( हमे कभी उम्मीद नही छोडनी चाहिये)

एक बार एक व्यक्ति, एक हाथी को रस्सी से बांध कर ले जा रहा था | एक दूसरा व्यक्ति इसे देख रहा था | उसे बढ़ा आश्चर्य हुआ की इतना बढ़ जानवर इस हलकी से रस्सी से बंधा जा रहा है दूसरे व्यक्ति ने हाथी के मालिक से पूछा ” यह कैसे संभव है की इतना बढ़ा जानवर एक हलकी सी रस्सी को नहीं तोड़ पा रहा और तुम्हरे पीछे पीछे चल रहा है|

हाथी के मालिक ने बताया जब ये हाथी छोटे होते हैं तो इन्हें रस्सी से बांध दिया जाता है उस समय यह कोशिश करते है रस्सी तोड़ने की पर उसे तोड़ नहीं पाते | बार बार कोशिश करने पर भी यह उस रस्सी को नहीं तोड़ पाते तो हाथी सोच लेते है की वह इस रस्सी को नही तोड़ सकते और बढे होने पर कोशिश करना ही छोड़ देते है .

Moral of The Story – दोस्तों हम भी ऐसी बहुत सी नकारात्मक बातें अपने दिमाग में बैठा लेते हैं की हम नहीं कर सकते | हमे कभी उम्मीद नही छोडनी चाहिये|

Answered by krithikasmart11
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Answer:

स्कूल पत्रिका के लिए लेख-

Explanation:

कविता-

बच्चों को स्कूल भिजाएं,

अक्षरब्रह्म का ज्ञान कराएं।

बच्चे तो अनगढ़ माटी हैं,

इनको सुन्दर गुलदान बनाएं।

शिक्षा सम्मानों की खेती है,

आओ इनका मान कराएं।

विद्यालय शिक्षा के मंदिर हैं,

बच्चों से पूजन करवाएं।

कविता-

स्कूल चलें हम भाइयों, लेकर बस्ता हाथ

दीदी भाई संग में, आओ तुम भी साथ।

शिक्षा का अधिकार है, मिला सभी को यार

झटपट बस्ता लो उठा, हो जावो तैयार।

गीता मीना भी चलो, बबलू डबलू रोज

पढ़ना लिखना साथ में, करे ज्ञान की खोज।

पढ़ लिख नाम कमा चलो, ज्ञानवान हो सार

एक पढ़े घर भर पढ़े, सबको है अधिकार।

विद्यालय में आ पढ़ो, अक्षर ज्ञान अपार

चलो चलेंगे स्कूल हम, जन्मसिद्ध अधिकार

#SPJ2

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