संकेत बिन्दू के साथ अनुच्छेद लेखन |
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हमारे देश का स्वरूप जितना विभिन्न है, उतना वह विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है। हमारे देश की दशा सम्पूर्णरूप से भिन्न है। इसकी विभिन्नता में एकता कहीं अवश्य छिपी हुई है। लेकिन वह एकता भी किसी न किसी प्रकार की समस्या से जकड़ी हुई है। अतएव हमारा देश समस्या प्रधान देश है, ऐसा कहा जाए तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। यों तो हमारे देश की समस्याएँ अनेकानेक हैं, लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख हैं और कुछ सामान्य। हम इन दोनों ही प्रकार की समस्याओं के विषय में यहाँ विचार कर रहे हैं-
1. भाषा की समस्या- भाषा की समस्या हमारे देश की भयंकर समस्या है। हमारे देश के अन्तर्गत बोली जाने वाली विभिन्न प्रकार की भाषाएँ हैं। हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, राजस्थानी, हरियाणवी, उडि़या, गुजराती, बंगला, मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, उर्दू, मलयालम आदि भाषाओं को यहाँ के विभिन्न प्रान्तों और क्षेत्रों के लोग बोलते हैं और समझते हैं। इस प्रकार से हमारा देश बहुभाषी देश है। बहुभाषी देश होने के कारण हम आज तक किसी एक भाषा को राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दे सके हैं। अगर हम किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता देने का कदम उठाते हैं, तो इससे दूसरे भाषा भाषी अपनी भाषा का अपमान मानकर क्षुब्ध हो उठते हैं। इससे कभी कभी भयंकर घटनाएँ घटित हो जाती हैं। इस प्रकार भाषा भेद की समस्या हमारे राष्ट्र की एक प्रमुख समस्य बनी हुई है।
2. क्षेत्रवादिता- हमारे देश में क्षेत्रवादिता की ज्वर भयानक रूप ले चुका है। क्षेत्रवादिता के ज्वर से ग्रसित हम एक दूसरे क्षेत्र को अन्य राष्ट्र की तरह समझ करके उससे स्पर्धा की दुर्भावना से पीडि़त हो जाते हैं। हम उस क्षेत्र की भाषा, संस्कृति, जीवन-दर्शन, दशा, कार्यकलाप आदि सब कुछ को अपने क्षेत्र की तुलना में हीन और उपेक्षित समझने लगते हैं। यह देखने में आया है कि कभी कभी क्षेत्रीय सीमा विवाद के फलस्वरूप बहुत बड़े उच्चस्तर पर संघर्ष और मतभेद की तेज आँधी दौड़ जाती है। इससे जन-जीवन को अत्यन्त कष्ट और अशान्ति का अनुभव होने लगता है।
3. ज्नसंख्या वृद्धि की समस्या- हमारे देश की जितनी भी समस्याएँ हैं, उनमें जनसंख्या वृद्धि की समस्या सर्वोपरि है। इस समस्या से ग्रसित हमारा देश सब प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है। हमारे देश की जनसंख्या जितनी तीव्र गति से बढ़ रही है। उतनी और किसी देश की नहीं। इस समय हमारे देश की जनसंख्या लगभग 120 करोड़ है और अब तक के प्राप्त आँकड़ों के आधार पर हम यही कह सकते हैं कि हमारे देश की जनसंख्या सन् 2030 में विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला राष्ट्र चीन की जनसंख्या से कहीं अधिक हो जायेगी। इस प्रकार यह आसानी से प्रश्न उठाया जा सकता है कि इस विशाल जनसंख्या वाला देश भारत की स्थिति और समस्याग्रस्त नहीं हो सकती तो क्या हो सकती है?
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4. बेरोजगारी की समस्या- हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या अत्यन्त कष्टदायक और विपत्तिजनक समस्या है। इसका निदान करना हमारे लिए एक चुनौती के रूप में सामने उभरकर आया है। हमारे देश में बेरोजगारी के कई प्रकार हैं। जिनमें मुख्य रूप में अशिक्षित, अर्द्धशिक्षित और शिक्षित बेरोजगारी ही प्रधान है। बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने में हमारी वर्तमान सरकार विफल रही है, क्योंकि अभी तक हमारी शिक्षा पद्धति रोजगार परक नहीं हो पाई है। दूसरी बात यह है कि हमने बेतहासा बढ़ती हुई जनसंख्या पर कोई रोक लगाने में सफलता प्राप्त नहीं की है। इस प्रकार से बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
5. महँगाई और भ्रष्टाचार की समस्या- हमारे देश में बेरोजगारी ओर बढ़ती हुई जनसंख्या के असीमित होने के कारण महँगाई और भ्रष्टाचार को खूब बढ़ावा मिल रहा है। रिश्वत, सिफारिश, अनुचित साधनों का प्रयोग, स्वार्थपरता आदि के कारण महँगाई और भ्रष्टाचार की समस्या दुगुनी गति से बढ़ रही है।
6. ग्रामीण समस्याएँ- हमारे देश के अन्तर्गत ग्रामीण समस्याओं की भरमार है। ग्रामीण समस्याओं के अन्तर्गत, अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढि़वादिता, दहेज, सती आदि प्रथा की समस्या, विधवा की समस्या आदि विकराल रूप से हैं, जो हमारे राष्ट्र की कमर ही तोड़ रही है। सरकार इनके समाधान में पूर्ण रूप से विफल है।
आज हमारा देश उपर्युक्त समस्याओं से बुरी तरह उलझा हुआ है। इन समस्याओं का निराकरण करके ही देशोत्थान संभव है।
Answer:
ʜᴇʀᴇ ɪs ʏᴏᴜʀ ᴀɴsᴡᴇʀ ⬇️
Explanation:
ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ғᴏʀᴍᴀᴛ: sᴜᴘᴘᴏsᴇ ʏᴏᴜ ʜᴀᴠᴇ sᴏᴍᴇ ᴏᴘɪɴɪᴏɴs ʀᴇɢᴀʀᴅɪɴɢ ᴀ ᴛᴏᴘɪᴄ ᴀɴᴅ ʏᴏᴜ ᴡᴀɴᴛ ᴛᴏ ᴛᴇʟʟ ᴘᴇᴏᴘʟᴇ ᴀʙᴏᴜᴛ ɪᴛ. ʜᴏᴡ ᴡɪʟʟ ʏᴏᴜ ᴅᴏ sᴏ? ʏᴏᴜ ᴄᴀɴ ᴛᴇʟʟ ᴛʜᴇ ᴏᴘɪɴɪᴏɴs ᴛᴏ ᴘᴇʀsᴏɴs ɴᴇᴀʀ ʏᴏᴜ. ʙᴜᴛ ᴡʜᴀᴛ ɪғ ʏᴏᴜ ᴡᴀɴᴛ ᴛᴏ ᴛᴇʟʟ ɴᴏᴛ ᴏɴʟʏ ᴛʜᴏsᴇ ᴘᴇᴏᴘʟᴇ ʙᴜᴛ, sᴀʏ, ᴛʜᴇ ᴡᴏʀʟᴅ? ʜᴏᴡ ᴡɪʟʟ ʏᴏᴜ ᴅᴏ sᴏ? ʏᴏᴜ ᴡɪʟʟ ᴡʀɪᴛᴇ ᴛʜᴏsᴇ ᴏᴘɪɴɪᴏɴs, ɪsɴ’ᴛ ɪᴛ?
ᴍᴀɴʏ ᴀ ᴛɪᴍᴇ ʏᴏᴜ ʜᴀᴠᴇ sᴇᴇɴ sᴏᴍᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀs ᴏʀ ᴘᴇᴏᴘʟᴇ ᴡʀɪᴛᴇ ᴛʜᴇɪʀ ᴘʀᴏʙʟᴇᴍs ᴀɴᴅ sᴜɢɢᴇsᴛɪᴏɴs ɪɴ sᴏᴍᴇ ɴᴇᴡsᴘᴀᴘᴇʀs, ᴍᴀɢᴀᴢɪɴᴇs, ᴀɴᴅ ᴊᴏᴜʀɴᴀʟs ᴏʀ ɪɴ ᴛʜᴇɪʀ ʙʟᴏɢs. ᴛʜᴇʏ ᴀʀᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ᴛʜᴇɪʀ ᴏᴘɪɴɪᴏɴs ᴀɴᴅ ʙᴇʟɪᴇғs ɪɴ ᴛʜᴇ ғᴏʀᴍ ᴏғ ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ. ɪɴ ᴛʜɪs sᴇᴄᴛɪᴏɴ, ᴡᴇ ᴡɪʟʟ ɢᴇᴛ ᴏᴜʀsᴇʟᴠᴇs ғᴀᴍɪʟɪᴀʀ ᴡɪᴛʜ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ᴀɴᴅ ᴛʜᴇ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ғᴏʀᴍᴀᴛ.
ᴀʀᴛɪᴄʟᴇs
ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ɪs ᴀ ᴘɪᴇᴄᴇ ᴏғ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ᴡʀɪᴛᴛᴇɴ ғᴏʀ ᴀ ʟᴀʀɢᴇ ᴀᴜᴅɪᴇɴᴄᴇ. ᴛʜᴇ ᴍᴀɪɴ ᴍᴏᴛɪᴠᴇ ʙᴇʜɪɴᴅ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ɪs ᴛʜᴀᴛ ɪᴛ sʜᴏᴜʟᴅ ʙᴇ ᴘᴜʙʟɪsʜᴇᴅ ɪɴ ᴇɪᴛʜᴇʀ ɴᴇᴡsᴘᴀᴘᴇʀs ᴏʀ ᴍᴀɢᴀᴢɪɴᴇs ᴏʀ ᴊᴏᴜʀɴᴀʟs sᴏ ᴀs ᴛᴏ ᴍᴀᴋᴇ sᴏᴍᴇ ᴅɪғғᴇʀᴇɴᴄᴇ ᴛᴏ ᴛʜᴇ ᴡᴏʀʟᴅ.
ɪᴛ ᴍᴀʏ ʙᴇ ᴛʜᴇ ᴛᴏᴘɪᴄs ᴏғ ɪɴᴛᴇʀᴇsᴛ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ ᴏʀ ɪᴛ ᴍᴀʏ ʙᴇ ʀᴇʟᴀᴛᴇᴅ ᴛᴏ sᴏᴍᴇ ᴄᴜʀʀᴇɴᴛ ɪssᴜᴇs. ᴛʜᴇ ᴛᴏᴘɪᴄ ᴄᴀɴ ᴇɪᴛʜᴇʀ ʙᴇ sᴇʀɪᴏᴜs ᴏʀ ɴᴏᴛ-sᴏ-sᴇʀɪᴏᴜs; sᴀᴍᴇ ɢᴏᴇs ғᴏʀ ɪᴛs ᴛᴏɴᴇ ᴀɴᴅ ʟᴀɴɢᴜᴀɢᴇ.
ʙʀᴏᴡsᴇ ᴍᴏʀᴇ ᴛᴏᴘɪᴄs ᴜɴᴅᴇʀ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ
ᴅᴇғɪɴɪᴛɪᴏɴ, ᴇssᴇɴᴛɪᴀʟ ᴇʟᴇᴍᴇɴᴛs ᴏғ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ
ᴏʙᴊᴇᴄᴛɪᴠᴇs ᴏғ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ
ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ɪs ᴡʀɪᴛᴛᴇɴ ᴡɪᴛʜ ᴛʜᴇ ғᴏʟʟᴏᴡɪɴɢ ᴏʙᴊᴇᴄᴛɪᴠᴇs
ɪᴛ ʙʀɪɴɢs ᴏᴜᴛ ᴛʜᴇ ᴛᴏᴘɪᴄs ᴏʀ ᴛʜᴇ ᴍᴀᴛᴛᴇʀ ᴏғ ɪɴᴛᴇʀᴇsᴛ ɪɴ ᴛʜᴇ ʟɪᴍᴇʟɪɢʜᴛ
ᴛʜᴇ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴘʀᴏᴠɪᴅᴇs ɪɴғᴏʀᴍᴀᴛɪᴏɴ ᴏɴ ᴛʜᴇ ᴛᴏᴘɪᴄs
ɪᴛ ᴏғғᴇʀs sᴜɢɢᴇsᴛɪᴏɴs ᴀɴᴅ ᴘɪᴇᴄᴇs ᴏғ ᴀᴅᴠɪᴄᴇ
ɪᴛ ɪɴғʟᴜᴇɴᴄᴇs ᴛʜᴇ ʀᴇᴀᴅᴇʀs ᴀɴᴅ ᴜʀɢᴇs ᴛʜᴇᴍ ᴛᴏ ᴛʜɪɴᴋ
ᴛʜᴇ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴅɪsᴄᴜssᴇs ᴠᴀʀɪᴏᴜs sᴛᴏʀɪᴇs, ᴘᴇʀsᴏɴs, ʟᴏᴄᴀᴛɪᴏɴs, ʀɪsɪɴɢ-ɪssᴜᴇs, ᴀɴᴅ ᴛᴇᴄʜɴɪᴄᴀʟ ᴅᴇᴠᴇʟᴏᴘᴍᴇɴᴛs
ᴛʜᴇ ғᴏʀᴍᴀᴛ ᴏғ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ
ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴍᴜsᴛ ʙᴇ ᴏʀɢᴀɴɪᴢᴇᴅ ɪɴ ᴀ ᴘʀᴏᴘᴇʀ ᴡᴀʏ sᴏ ᴀs ᴛᴏ ᴅʀᴀᴡ ᴛʜᴇ ᴀᴛᴛᴇɴᴛɪᴏɴ ᴏғ ᴛʜᴇ ʀᴇᴀᴅᴇʀs. ᴛʜᴇ ʙᴀsɪᴄ ᴏᴜᴛʟɪɴᴇ ғᴏʀ ᴀɴ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡʀɪᴛɪɴɢ ғᴏʀᴍᴀᴛ ɪs
ʜᴇᴀᴅɪɴɢ / ᴛɪᴛʟᴇ
ᴀ ʟɪɴᴇ ʜᴀᴠɪɴɢ ᴛʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ’s ɴᴀᴍᴇ
ʙᴏᴅʏ (ᴛʜᴇ ᴍᴀɪɴ ᴘᴀʀᴛ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ, 2 – 3 ᴘᴀʀᴀɢʀᴀᴘʜs)
ᴄᴏɴᴄʟᴜsɪᴏɴ (ᴇɴᴅɪɴɢ ᴘᴀʀᴀɢʀᴀᴘʜ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴀʀᴛɪᴄʟᴇ ᴡɪᴛʜ ᴛʜᴇ ᴏᴘɪɴɪᴏɴ ᴏʀ ʀᴇᴄᴏᴍᴍᴇɴᴅᴀᴛɪᴏɴ, ᴀɴᴛɪᴄɪᴘᴀᴛɪᴏɴ ᴏʀ ᴀɴ ᴀᴘᴘᴇᴀʟ)