Hindi, asked by prishakatyal555, 9 hours ago

सूक्तियां - महाजन: येन गतः स पन्या: meaning of this full sentence in hindi​

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Answered by 57pranavdmandre
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आचार्य व्यास ने पुराण में लिखा, धर्मस्य तत्वं निहितं गुहायाम्। महाजनो येन गतः स पन्थाः। यानी, धर्म का रहस्य अथवा स्वरूप इतना गहन है, मानो वह गुफाओं में छिपा है। अतः सभी उसका गहन अध्ययन नहीं कर सकते। सुगम मार्ग यही है कि जिन्होंने घोर तपस्या कर उस परम तत्व को जान लिया, तथा जिस रास्ते वे चले, उसी मार्ग पर चलना चाहिए।

ब्रह्मनिष्ठ संत-महात्माओं, ज्ञानियों और निर्मल हृदय वाले महापुरुषों के सत्संग के महत्व को प्रदर्षित करते हुए धर्मग्रंथों में कहा गया है कि सत्संग ही एकमात्र ऐसा सरल साधन है, जो अज्ञान और कल्पित भ्रामक धारणाओं से मुक्ति दिलाकर मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता रखता है।

सत्संग के सुयोग्य पात्र कौन हैं, इस पर प्रकाश डालते हुए बताया गया है, मन, वाणी और कर्म की एकरूपता रखने वाला, जिसका आचरण पवित्र है, जो किसी भी प्रकार के लोभ-लालच-मोह आदि से मुक्त परम जितेंद्रिय है, उसी महापुरुष का सत्संग करने से ज्ञान व भक्ति की प्राप्ति संभव है। महाभारत में कहा गया है, यद्यदाचरित श्रेष्ठः तत्तदेबेतरो जनः स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।

उपरोक्त सद्गुणों से संपन्न श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, उसी का अनुगमन करने से कल्याण होता है। स्वयं धन-संपत्ति की आसक्ति से आबद्ध, काम, क्रोध, लोभ जैसे दुर्गुणों से दूषित व्यक्ति के उपदेश का श्रोता पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता।

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