सूखी डाली' एकांकी की समीक्षा कीजिए
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उत्तर:सूखी डाली
यह एकांकी संयुक्त परिवार के महत्त्व को प्रतिपादित करती है। इस एकांकी में कई पुरुष और स्त्री पात्र हैं। पुरुष पात्र- दादा मूलराज, कर्मचंद, परेश, भाषी और मल्लू है तो वहीँ स्त्री पात्र बेला, छोटी भाभी, मँझली भाभी, बड़ी बहू, पारो और रजवा है। दादा मूलराज कहानी में घर के मुखिया हैं उनकी आयु 72 वर्ष है।
व्याख्या:
सूखी डाली' एकांकी संयुक्त परिवार व्यवस्था पर आधारित है। इसमें पारिवारिक स्थितियाँ प्रस्तुत हुई हैं। वट का पेड़ संयुक्त परिवार का प्रतीक है। जिस प्रकार पेड़ की एक भी डाली टूटकर अलग होने पर सूख जाती है वैसे ही परिवार से अलग हुआ सदस्य दुःखी रहता है।हर सदस्य पेड़ की डाली के समान पेड़ का एक प्रमुख अंग है। दादा जी के भरे-पूरे परिवार के छोटे पोते परेश की पत्नी बेला के आ जाने से परिवार में हलचल मच जाती है। वह एक सुसंस्कृत व सभ्य परिवार की सुशिक्षित लड़की है दूसरे परिवार में स्वयं को समायोजित नही कर पा रही है। वह अपने मायके के परिवार को अधिक सुसंस्कृत समझती है
यदि परिवार का मुखिया दूरदर्शी, बुद्धिमान तथा व्यवहारकुशल हो तो भी परिवार के सदस्यों के विचारों एवं स्वभाव में भिन्नता होते हुए भी वे सब एकता की डोर से बँधे रहते हैं।
'सूखी डाली' एकांकी की समीक्षा कीजिए
‘सूखी डाली’ एकांकी में नई और पुरानी पीढ़ी के संघर्ष का मार्मिक चित्रण मिलता है, ‘सूखी डाली’ एकांकी संयुक्त परिवार की पृष्ठभूमि में रचा दिया एकांकी है, जिसमें संयुक्त परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।
इस एकांकी में दो पीढ़ियों के बीच संघर्ष भी दर्शाया गया है। जहाँ पर मूलराज के रूप में 72 वर्षीय एक वृद्ध हैं, तो बेला के रूप में उनकी पोते की पत्नी और इंदु के रूप में उनकी पोती नई पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में हैं।
इस एकांकी के माध्यम से यह बताने की प्रयास किया गया है कि यदि घर का मुख्य सदस्य परिपक्व हो तो वह अपनी सूझबूझ से घर को बिखरने से बचा सकता है। लेखक का कहने का मुख्य उद्देश्य है कि घर का मुख्य नियंत्रण एक परिपक्व और समझदार व्यक्ति के हाथ में होना चाहिए। दादा मूलराज के पोते की पत्नी बेला की छोटी बहू है जो एक बड़े समृद्ध परिवार की कन्या है। उसे अपने मायके के समृद्ध होने का अभिमान है, वह हर बात की तुलना अपने मायके के परिवार से करना चाहती है। इस कारण उसका अपनी ननद इंदू से संघर्ष भी होता है, और परिवार बिखरने की स्थिति तक पहुंच जाता है। लेकिन दादा मूलराज आज अपनी सूझबूझ भरे प्रयास से परिवार को बिखरने से बचा लेते हैं। दो पीढ़ियों के बीच संघर्ष एक सुखद परिणाम के साथ समाप्त होता है।
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कुछ और जानें...
सूखी डाली एकांकी का प्रकाशन वर्ष क्या है । प्रकाशन बताए
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) “वह तमीज़ तो बस आप लोगों को है मैंने कहा तुम तो लड़ती हो। मैं तो सिर्फ यह कहना चाहती
कि नौकर से काम लेने का भी ढंग होता है।
(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं 2 कथन का आशय संदर्भ-सहित स्पष्ट कीजिए?
(ख) वक्ता का परिचय दीजिए।
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