सुख और दुख मानव जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू है पर मनुष्य देखो से उबरने का कोई ना कोई रास्ता धुंध लेते हैं मीठाई वाले के आलोक में स्पष्ट किजिये
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• भूमिका
• सुख दुःख का जीवन पर प्रभाव
• सकारात्मक सोच
• निष्कर्ष
यह सच है कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों ही मनुष्य की अनुभूति का परिणाम है। अक्सर अनुकूलताओं में सुख और प्रतिकूलताओं में दुख महसूस करना मनुष्य का स्वभाव है। सभी मनुष्य ‘सुख’ की आकांक्षा करते हैं यही कारण है कि दुख आने पर व्यक्ति उदास तथा अपराधबोध से भर जाता है जबकि सच यह है कि दुख से लड़कर ही व्यक्ति बुद्धिमान तथा जीवन के संघर्षों में नए लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्वयं को सक्षम बना पाता है।
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