सुख-दुख की खे
की खेल मिचौनी,
खोले जीवन अपना मुख।
-इन पंक्तियों का आशय क्या है?
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Explanation:
भीतर -भीतर कितनी बार
उबलना होता है
बालू बांध पांव में
मीलों चलना होता है
खामोशी कोने अतरों से
झाँका करती है
सिलकर होंठ ,मूल्य शब्दों का
आंका करती है
अंधियारों में बिना रौशनी
जलना होता है
कभी -कभी गलियाँ -चौराहे
गली बकते हैं
कोल्हू के जो बैल ,
परिधि में अपने थकते हैं
बंद सुरंगों से भी हमें
निकलना होता है
मौन ठिठुरते हैं
अपनी ही आग सौंपते हैं
हम वहशी अतीत को
जीवन राग सौंपते हैं
बर्फीली चट्टानों जैसा
गलना होता है |
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