Hindi, asked by aamnaashraf9794, 8 months ago

सुख दुख कविता लेखक सुमित्रानंदन पंत का सारांश​

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Answered by suresh2025
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कविवर पंत कहते हैं कि वे अपने जीवन में सदा सुख या दुख नहीं चाहते हैं। उन दोनों का मेल होना चाहिए। जैसे बच्चे आँख – मिचौनी खेल में कुछ समय आँखें बन्द करके फिर खोल देते हैं, उसी प्रकार जीवन के खेल में सुख या दुख कुछ समय आँख खोले और फिर बन्द करे। कहने का मतलब यह है कि मानव के जीवन में कुछ समय सुख है और कुछ समय दुख। तभी जीवन, खेल की ही तरह मज़ेदार होगा। नहीं तो जीना भी कठिन होगा।

जीवन में सुख और दुख का मीठा मिलाप होना चाहिए। जिस समय कुछ समय बादलों में अदृश्य रहने के बाद चन्द्रमा आकाश में फिर चांदनी फैलता है उसी प्रकार कुछ समय तक दुखों में अदृश्य रहने के बाद सुख को भी फिर जीवन में दर्शन देना चाहिए। बादलों में छिपे चाँद के दिखाई देते ही मन को बड़ा आनन्द मिलता है। वैसे ही कुछ काल तक दुख करने का अनुभव के बाद मानव को सुख मिलेगा तो उसे उस सुख से अत्यंत संतोष मिलता है। इसी से कवि चाहता है मानव जीवन में सुख-दुख बारी-बारी से आए तो अच्छा होगा।

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