सुखाड़ से बचाव के तरीकों का उल्लेख करें।
अथवा, सुखाड़ प्रबंधन का वर्णन करें।
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सुखाड़ जैसी आपदा के प्रबंधन हेतु दो प्रकार की योजनाएं आवश्यक हैं। ये हैं-दीर्घकालीन और लघुकालीन। दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत नहर, तालाब, कुआँ; पइन, आहर के विकास की जरूरत है। नहर के माध्यम से जलाशयों में जल लाया जा सकता है।
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सूखा एक प्राकृतिक घटना है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में पानी की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण होती है।
सूखे के कारण हैं:
- हरे-भरे खेतों की अधिक चराई
- वनों की कटाई
- वर्षा की कमी
- अत्यधिक सिंचाई
- एनसो, अल नीना, आदि जैसे जलवायु कारक
सूखे के परिणाम
- यह सूखे क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन को बाधित करता है।
- सूखा विशेष क्षेत्र की कृषि को प्रभावित करता है और इस प्रकार भोजन की कमी पैदा करता है।
- पीने के पानी की कमी
- अकाल की संभावना भी बढ़ जाती है।
सूखे की रोकथाम निम्नलिखित तरीकों से शुरू की जा सकती है:
- वनीकरण
- अधिक चराई पर नियंत्रण रखना
- सूखे की स्थिति के खिलाफ क्लाउड सीडिंग एक नया तरीका है।
- वर्षा जल संचयन जो अब उन क्षेत्रों में किया जाता है जो अक्सर सूखे के संपर्क में आते हैं|
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