Hindi, asked by jzanieparzker8138, 1 year ago

साखियॉ एवं सबद का भावार्थ

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Answered by ggghh76
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1. कबीरदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार हंस मानसरोवर के स्वच्छ एवं पावन जल को छोड़कर कहीं दूसरी जगह नहीं जाते, उसी प्रकार संत लोग भगवान की भक्ति के आनंद रूपी सरोवर को छोड़कर कहीं नहीं जाते।

2. ईश्वर का एक भक्त दूसरे भक्त से मिलकर बहुत प्रसन्न होता है तथा दो भक्तों के मिलन से कलुषित वातावरण भी आनंदमय तथा पवित्रा हो जाता है।

3. ईश्वर की भक्ति तथा ज्ञान से ओत-प्रोत प्रभु-भक्त का यह संसार कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।

4. सत्य का ज्ञान रखने वाला श्रेष्ठ संत कभी भी तर्क-वितर्क तथा ईष्र्या-द्वेष के विवाद में नहीं पड़ता, वह हमेशा ईश्वर की भक्ति एवं भजन में ही लीन रहता है।

5. मनुष्य को राम तथा खुदा में भेद-भाव नहीं करना चाहिए। ईश्वर एक है। ईश्वर को ईश्वर ही मानना चाहिए।

6. काबा तथा काशी में, राम तथा रहीम में भेदभाव को त्यागकर तथा अपनी-अपनी धर्मिक कट्टरता को छोड़कर हिंदू और मुसलमानों को एक साथ राम तथा रहीम दोनों की उपासना करनी चाहिए।

7. मनुष्य अपने फल से नहीं बल्कि अपने श्रेष्ठ कर्मों से महान बनता है।

8. ईश्वर मंदिर, मस्जिद, पूजा-पाठ आदि कार्यों या योग- साध्ना में नहीं रहता, वह तो हर प्राणी की साँस में बसा हुआ है, उसे सच्ची तलाश से अतिशीघ्र पाया जा सकता है।

9.. ज्ञान की आँधी आने पर मन का सारा भ्रम नष्ट हो गया। माया-मोह के बंध्न छूट गए। तृष्णा, कुबुद्धि तथा संदेह भी नष्ट हो गया। ईश्वर का ज्ञान होने से आत्मा खुश हो गई तथा सारा अज्ञान नष्ट हो गया।

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