सीखने की प्रभावशाली विधियां क्या है ?
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सीखने की प्रभावशाली विधियां क्या है ?
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user-profile Archana Sharms
'सिखाना' एक प्रक्रिया है जो जीवन-पर्यन्त चलती रहती है एवं जिसके द्वारा हम कुछ ज्ञान अर्जित करते है या जिसके द्वारा हमारे व्यवहार में परिवर्तन होता है वही सिखाना कहलाता है। किसी नये पाठ या नई क्रिया को सीखने के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है। मनोवैज्ञानिकों ने कुछ प्रमुख विधियों को अधिक उपयोगी एवं प्रभावशाली बताया है, ये विधियाँ इस प्रकार है-
1.करके सीखना विधि :- इस विधि में छात्र के द्वारा प्रत्येक कार्य में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया जाता है। बच्चे जिस कार्य को स्वयं करते हैं, उसे वे जल्दी सीखते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली इसी विधि पर आधारित ‘‘बाल केन्द्रित‘‘ शिक्षा है। किसीने कहा है कि जब हम सुनते हैं तो भूल जाते हैं और जो हम देखते हैं, वह याद रखते हैं लेकिन जब हम कुछ सवयं करते हैं तो हम उसे समझ जाते हैं।
2.अनुकरण विधि :- अनुकरण द्वारा सीखने की प्रक्रिया शैशवावस्था से ही प्रारम्भ हो जाती है। विद्यालय में बच्चे शिक्षक द्वारा की जाने वाली क्रियाओं का अनुकरण करके सीखते है। हैगार्ट के अनुसार सिखाने की यह प्रक्रिया सबसे सरल होती है।
3.परीक्षण विधि :- इसके अन्तर्गत छात्र अपनी आवश्यकता के अनुरूप सामग्री का परीक्षण करते हैं तथा ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस विधि के माध्यम से बच्चों में आत्मनिर्भरता का विकास होता है क्योंकि इस परीक्षण में वे स्वयं प्रयास करते हैं।
4.निरीक्षण विधि :- इस विधि में प्राणी अवलोकन द्वारा किसी क्रिया या अनुभव को प्राप्त करता है। इसमें मौखिक वर्णन के स्थान पर प्रत्यक्ष दिखाकर, समझकर सिखाया जाता है। इस विधि से सीखने में छात्र की जिज्ञासा एवं उत्सुकता बनी रहती है। सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल शिक्षण में इस विधि का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए ताकि बच्चे उसे सहजता से सीख सके।
5.सामूहिक विधि:- इस विधि द्वारा सीखना अधिक सहायक एवं उपयोगी होता है। इससे बालक को प्रेरणा प्रदान करने, उसे शैक्षिक लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता देने, उनके मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने, उसके व्यवहार में सुधार करने और उसमें आत्मनिर्भरता तथा सहयोग की भावनाओं का विकास करने के लिए सामूहिक विधियाँ अधिक प्रभावशाली होती है। बताते चले कि इस विधि के अंतर्गत भी तिन विधियां आती है। पहली है सम्मेलन व विचार गोष्ठी विधि, दूसरी प्रोजेक्ट विधि या योजना विधि और तीसरी समूह अधिगम।