' सेल्फी सही या गलत ` हिंदी निबंध
Answers
'' जब कोई व्यक्ति खुद की तस्वीर खुद से ले तो उसे सेल्फी कहा जाता है | "
मानव के विवेक उन्हें विकसित करती है , वह खुद मनोरंजन का साधन ढूंढ लेता है | सेल्फी भी मानव के मनोरंजन का हिस्सा है |
इंटरनेट की इस विचित्र दुनिया में दूर के मनुष्य से जुड़ने हेतु सोशल नेटवर्क फेसबुक , व्हाट्सअप , ट्विटर, हैंगआउट्स , इत्यादि से आप परिचित न हो ऐसा तो केवल संयोग है | सोशल नेटवर्क हमे दूर -दराज के लोगो से दोस्ती करवाती तो है ही साथ - साथ उनके रहन - सहन की भी नक़ल करवाती है | फेसबुक पर अपना प्रोफाइल अपडेट करना हो , स्मार्ट फ़ोन उठाया और अपने चेहरे के समुख रखकर क्लिक किया , बस आपकी तस्वीर आपके मोबाइल में कैद | अब इंटरनेट का उपयोग कर प्रोफाइल अपडेट किया | या यूं कहे सेल्फी हमें स्मार्ट फ़ोन की तरह स्मार्ट बना रही है | किसी को अपनी तस्वीर भेजनी हो बस उपयोग करे सेल्फी !!!
लेकिन बीतें कुछ दिनों से सेल्फी का दुरूपयोग बढ़ रहा है | कारण आये दिन दुर्घटना मे बढोतरी हूई है | कुछ दिनों पहले मैंने अखबार में पढ़ा था की एक युवक चलती हुए ट्रैन के सामने सेल्फी ले रहा था , जाहिर है उसकी मृत्यु तय थी | एक बार सुनने में आया था एक युवती ने रोड में सेल्फी लेते वक्त अपने प्राण गवा दिए | आखिर क्यों हम झूठे दिखावे के कारण अपने नियमों का उलंघन कर रहे हैं | दिखावा करना बुरी बात है | सेल्फी इसका जीवित उदहारण है |
खैर सेल्फी मेरे मायने में गलत नहीं है | लेकिन सेल्फी का दुरूपयोग घटनाओं को अंजाम देती है ,जो गलत है |
Answer:
आजकल हर कोई सेल्फी लेते हुए दिखाई देता है. बच्चोंसे लेके बढ़ोतक हर कोई अपना हाट ऊपर लिए, हात में फ़ोन लिए खुदकी तस्वीरें खींचते दिखाई देता है. लेकिन आपने इसी सेल्फी की वजह से कई लोगोंको अपनी जान गवांते हुए भी सुना होगा. इसीलिए हमने इस विषय पर और और जानकारी देने के लिए इस लेख में सेल्फी सही या गलत, सेल्फी की लत या एडिक्शन इस विषय पर हिंदी निबंध, भाषण दिया है.
पहला और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है क्या हम इसे एक लत, व्यसन (एडिक्शन) कह सकते हैं? जवाब है, हां और नहीं। हां, क्योंकि जो व्यक्ति सेल्फी लेते है, उनमेसे ज्यादातर इस कृति की पुनरावृत्ति करतें रहतें है, उसे इसे रोकना या नियंत्रित करना उन्हें मुश्किल लगता है। लेकिन उसी समय सेल्फी की लत के लिए कोई चिकित्सा लक्षण या निदान उपलब्ध नहीं हैं। “लत” शब्द का प्रयोग यहाँ यथोचित रूप से किया गया है। इसका अर्थ है युवा पीढ़ी की सेल्फी के प्रति पागलपन और दीवानापन|
सेल्फी के फायदे और नुकसान या अच्छे और बुरे पक्ष को समझने से पहले हमें यह समझने की आवश्यकता है की सेल्फी की लत, व्यसन (एडिक्शन) का मतलब क्या है, इसकी सुरवात कब और कैसे हुई?
संक्षेप में, सेल्फी का मतलब है कि स्वयं का चित्र (फोटो) जो आमतौर पर एक स्मार्टफोन के फ्रंट कैमरे के साथ हाथ से लिया जाता है या सेल्फी स्टिक की मदद से लिया जाता है| सेल्फी लेनेका एक मुख्य कारण यह है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राग्राम, स्नैपचैट पर शेयर करना होता है|
कभी-कभी लोग फ़ोन टाइमर का उपयोग करते हैं, लेकिन अधिकांश समय सेल्फी तुरंत और दोन तीन बार ली जाती है । जब आप मित्रों या लोगों के समूह के साथ सेल्फी लेते हैं तो इसे “ग्रूपी” कहा जाता है|वर्ष २०१३ में ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी द्वारा “सेल्फी” शब्द को वर्ष का शब्द घोषित किया गया था।
१८३९ में, अमेरिकी फोटोग्राफर रॉबर्ट कुरनेलियस ने स्वयं की डग्यूरेरोटाइप (फ़ोटो लेने की पुरानी पद्धति) ली, जो कि इंसान की पहली तस्वीर थी । तकनीकी तौर पर यह पूरी दुनिया में लिया गया पहला फोटो है जिसे सेल्फी कहाँ जा सकता है| नए कैमरों की मदद से लोगों ने खुदके फोटो निकाले है, लेकिन “सेल्फी” शब्द इसके लिए प्रचलित नहीं था। इसे पहली बार डॉ.कार्ल सेल्फ-सर्व साइंस फोरम में इस्तेमाल किया गया, नाथन होप ने एक पोस्ट में उल्लेख किया “(……..And sorry about the focus, it was a selfie)… .. फोकस के बारे में खेद है, यह एक सेल्फी थी”। होप ने बताया की सेल्फी एक स्लैंग है जो लोकल ऑस्ट्रेलिया मे उस समय उपयोग में था|
सोनी एरिक्सन Z1010 पहला मोबाइल फ़ोन था जो फ्रंट कैमरे के साथ २००३ में रिलीज़ किया गया था। तब से सेल्फी ट्रेंड धीरे-धीरे शुरू हुई और पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में फ़ैल गयी है। सेल्फी शब्द इतना आम हो गयां कि ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने २०१३ में “साल का शब्द” घोषित किया।