Hindi, asked by fatimaurooj239, 1 month ago

साले माली प्रकृति को प्रकृति और पक्षी को पक्षी की नजर से देखने के पक्षधर थे कथन में क्या भाव निहित है​

Answers

Answered by yaduwanshi29
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Answer:

निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

एकांत क्षणों में सालिम अली बिना दूरबीन भी देखे गए हैं। दूर क्षितिज तक फैली ज़मीन और झुके आसमान को छूने वाली उनकी नज़रों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ़ एक हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी। इसके गढ़ने में उनकी जीवन-साथी तहमीना ने काफ़ी मदद पहुँचाई थी। तहमीना स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी रही थीं।

सालिम अली दूरबीन का प्रयोग क्यों करते थे? उनकी नज़रों की विशेषता क्या थी? (2)

तहमीना कौन थीं? उन्होंने सालिम अली की मदद कैसे की? (2)

गद्यांश के आधार पर सालिम अली की दो विशेषताएँ लिखिए। (1)

सालिम अली और डी. एच. लॉरेंस में क्या समानता थी?

यमुना नदी का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी किन घटनाओं की याद दिला देता है?

“साँवले सपनों की याद” में लेखक मनुष्य की किस क्रियाकलाप को उसकी भूल बताता है?

लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”

लॉरेंस के बारे में कौन अधिक जानता था? इससे उनके किस गुण का पता चलता है?

साँवले सपनों की याद (जाबिर हुसैन)

Answer

सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में दूर-दूर तक दुर्गम स्थानों पर जाया करते थे। वे दूरबीन का प्रयोग दूर-दराज बैठे पक्षियों के सूक्ष्म निरीक्षण के लिए प्रयोग करते थे। वे पारखी दृष्टि के थे । उनकी नज़रों में प्रकृति को बाँध लेने का जादू था। उनकी नज़रें क्षितिज और आसमान तक देखने में उनकी मदद करती थीं।

तहमीना सालिम अली की सहपाठिन थी। बाद में वे सालिम अली की जीवन संगिनी बनीं। सालिम अली के लिए प्रकृति खूबसूरती और रहस्यों से भरी हुई खुशहाल नज़र आती थी। प्रकृति के सान्निध्य में उन्होंने अपनी एक सुंदर दुनिया बनाई थी जिसे बनाने में तहमीना ने उनकी मदद की।

गद्यांश के आधार पर सालिम अली की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

सालिम अली का प्रकृति से घनिष्ठ लगाव था और वे उसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए हमेशा चिंतित रहते थे।

पक्षियों की खोज करते हुए वे उनके बारे में नई-नई जानकारियाँ एकत्रित करते थे और उनके सरंक्षण के लिए प्रयासरत रहते थे।

सालिम अली जाने-माने प्रकृति प्रेमी और पक्षी विज्ञानी थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पक्षियों की खोजबीन और सुरक्षा के प्रति समर्पित कर दिया था।अंग्रेजी के प्रसिद्द साहित्यकार डी. एच. लॉरेंस भी पक्षी और प्रकृति प्रेमी थे। उन्होंने अपनी कृतियों में प्रकृति की ओर लौटने का संदेश दिया है। इससे पता चलता है कि वे भी प्रकृति प्रेमी थे। इस प्रकार सालिम अली और डी.एच. लॉरेंस में प्रकृति प्रेमी होने की समानता थी।

यमुना नदी का साँवला पानी याद दिलाता है कि यहीं बालक कृष्ण ने कालिया मर्दन किया था | कदम्ब के पेड़ के नीचे वे अपने ग्वाल मित्रों के साथ खेलते थे और बगीचों में गोपियों के साथ रास रचाया करते थे | ऐसा प्रतीत होता है कि कृष्ण अभी मधुर स्वर में मुरली बजाते हुए अचानक प्रकट हो जाएँगे |

मनुष्य प्रकृति और उसके अन्य अंगों-जंगलों, पहाड़ों, झरनों, तालाबों और यहाँ तक कि पक्षियों को भी प्रकृति की नज़र से नहीं देखते हैं। वे इन सबको मनुष्य की नज़र से देखते हैं जो लेखक के अनुसार उचित नहीं है। लेखक का मानना है कि ऐसा मनुष्य इन पक्षियों के मधुर संगीत और झरनों के कलकल बहते हुए पानी की मधुर धुन का अनुभव ही नहीं कर सकता है। लेखक के अनुसार ऐसा करना मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है | उसे इन सबको प्रकृति की नज़र से देखना चाहिए।

सालिम अली की तरह लॉरेंस को भी प्रकृति और पक्षियों से लगाव था। उनका सारा समय अपने आस-पास की पर्यावरणीय गतिविधियों को जानने तथा पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने में बीतता था | उनकी छत पर बैठने वाली गोरैया के साथ ही उनका अधिकतर समय बीतता था इसलिए फ्रीड़ा ने ऐसा कहा होगा कि ‘मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।”

लॉरेंस के बारे में उनकी पत्नी फ्रीडा से भी ज्यादा उनकी छत पर बैठने वाली गौरेया जानती थी। इसके पीछे प्रमुख कारण था कि लौरेंस का अधिकतर समय उसी के साथ बीतता था। अतः वह उनकी अंतरंग संगिनी बन गई थी। इससे पता चलता है कि लॉरेंस का पक्षी और प्रकृति प्रेम अनूठा था।

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