सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते
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Answer:
सामाजिक विभाजन तब होती है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते है। सवर्णो और दलितों का अंतर् एक समाजिक विभाजन है कयोंकि दलित संपूर्ण देश में आमतौर पर गरीब वंचित एवं बेघर है और भेदभाव का शिकार है जबकि सवर्ण आम तौर पर सम्पन्न एवं सुविधायुक्त है अर्थात दलितों को महसूस होने लगता है की वे दूसरे समुदाय के है। अतः हम कह सकते है की जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरो से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगो को यह महसूस होने लगता है की वे दूसरे समुदाय के होते है तो इससे सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
जब दो या अधिक सामाजिक असमानता एक दूसरे से जुड़ते हैं, तो यह एक सामाजिक विभाजन में बदल जाता है।
Explanation:
सामाजिक अंतर वे परिस्थितियाँ हैं जहाँ लोगों के साथ सामाजिक, आर्थिक और नस्लीय असमानता के आधार पर भेदभाव किया जाता है।
सामाजिक विभाजन का अर्थ है भाषा, क्षेत्र, जाति, रंग, नस्ल और लिंग जैसे सामाजिक मतभेदों के आधार पर समाज का विभाजन।
जब समूह के विभिन्न समूह एक सामाजिक असमानता के लिए एक साथ जुड़ते हैं तो यह एक सामाजिक विभाजन बन जाता है | सामाजिक मतभेदों को कुछ आरक्षण नीतियों के साथ सरलता से समायोजित कर सकते है। लेकिन सामाजिक विभाजन कभी-कभी देश के राजनीतिक विभाजन को जन्म देता है।