Hindi, asked by yash4717, 11 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
सेना-नायक राणा के भी,
रण देख देखकर चाह भरे ।
मेवाड़ सिपाही लड़ते थे
दूने तिगुने उत्साह भरे ।।
क्षण मार दिया कर कोड़े से,
रण किया उतर कर घोड़े से ।
राणा रण कौशल दिखा-दिखा,
चढ़ गया उतर कर घोड़े से ।।
क्षण भीषण हलचल मचा-मचा,
राणा-कर की तलवार बढ़ी ।
था शोर रक्त पीने का यह
रण चण्डी जीभ पसार बढ़ी ।।

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Answered by bhatiamona
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प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में राणा प्रताप में युद्ध-कोशल और उनके पराक्रम का वर्णन किया गया है|

व्याख्या : उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे है की जब राणाप्रताप  युद्धभूमि में तलवार उठाकर चेतक पर सवार होकर युद्ध करते थे , तो ऐसा प्रतीत होता था , मानो वह अपने असीम शोर्य को धारण कर रहे हो |युद्ध करने हुए राजा के अंदर असीमित साहस दिखाई पड़ रहा था |

हल्दी घाटी की युद्ध भूमि में कवि राणा प्रताप के रण-कोशल को देखकर चकित है| वह उसके कोशल को देख कर कहता  है की राणा प्रताप इस तरह युद्ध कर रहा था की वहीं शत्रु सेना में हाथ के कोड़े से हमला कर देता तो कहीं घोड़े से उतरकर युद्ध करने लगता था| उसका घोड़े से कहीं उतरकर और कहीं चढ़ कर युद्ध करनी देखते बनता था|

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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—

मिला सेव्य का हमें पुजारी

सकल काम उस न्यायी का

मुक्ति लाभ कर्त्तव्य यहाँ है

एक-एक अनुयायी का

कोटि-कोटि कंठों से मिलकर

उठे एक जयनाद यहाँ

सबका शिव कल्याण यहाँ है

पावें सभी प्रसाद यहाँ ।

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