निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
विश्व है असि का ? नहीं संकल्प का है;
हर प्रलय का कोण, काया-कल्प का है;
फूल गिरते, शूल शिर ऊँचा लिये हैं,
रसों के अभिमान को नीरस किये हैं ।
खून हो जाये न तेरा देख पानी
मरण का त्यौहार, जीवन की जवानी !
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में युवा-शक्ति को क्रान्ति का अग्रदूत मानते हुए युवकों को आत्म बलिदान की प्रेरणा दी गई है|
व्याख्या: कवि नवयुवकों को क्रांति के लिए उत्तेजित करते हुए कहता है, कि क्या संसार तलवार का है| क्या संसार को तलवार की धर या शस्त्र-बल से ही जा सकता है| नहीं , यह बात नहीं है| यह संसार निश्चय लेने वाले व्यक्तियों का है| प्रत्येक प्रलय का उद्देश्य संसार के अंदर पूर्ण परिवर्तन ला देना होता है| हे युवाओं | यदि तुम दृढ़ निश्चय करके नव-निर्माण के लिए अग्रसर हो जाओ तो तुम समाज व व्यवस्था में प्रलय की तरह पूर्ण परिवर्तन कर सकते है| तुम्हें दृढ़ संकल्प के द्वारा नई क्रांति के लिए अग्रसर होना चाहिए |
काव्यगत-सौन्दर्य
दृढ़ संकल्प से ही क्रांति लाई जा सकती है| परिवर्तन शास्त्र-प्रयोग से नहीं , दृढ़ संकल्प से सम्भव है|
नवयुवक अपने प्राणों का बलिदान करके विश्व का नव-निर्माण कर सकते है|
भाषा-ओजपूर्ण खड़ीबोली
रस-वीर
गुण-ओज
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
सौरभ भीना झीना गीला
लिपटा मृदु अंजन-सा दुकूल;
चल अंचल से झर-झर झरते
पथ में जुगनू के स्वर्ण-फूल;
दीपक से देता बार-बार
तेरा उज्ज्वल चितवन-विलास !
रूपसि तेरा घन-केश-पाश !