निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
फूल झरता है
फूल शब्द नहीं !
बच्चा गेंद उछालता है,
सदियों के पार
लोकती है उसे एक बच्ची !
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए
सन्दर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक हिन्दी के काव्य-खण्ड में संकलित भाषा एकमात्र अनन्त है , शीर्षक कविता से उद्धृत है | इन पंक्तियों के रचियता श्री अशोक बाजपेयी ही है| यह कविता उनके तिनका-तिनका नामक काव्य-संग्रह से ली गई है|
प्रसंग: प्रस्तुत कविता-पंक्तियों में कवि भाषा की विशेषता का वर्णन कर रहा है| उसका कहना है की सब कुछ समाप्त हो सकता है , लेकिन भाषा का अस्तित्व सदैव विधमान रहेगा |
व्याख्या: कवि का कहना है की भाषा ही एकमात्र अन्ततः है , जिसका अंत नहीं है| फूल वृक्ष से टूटकर पृथ्वी पर गिरते हैं , उसकी पंखुड़ियों टूटकर बिखर जाती है और अन्ततः फूल मिट्टी में ही विलीन हो जाता है| वह , प्रकृति से जन्मा है और अंत में , प्रकृति में ही लीन हो जाता है| फूल की तरह शब्द विलीन नहीं होते| भाषा जो शब्दों से बनती है , वह कभी समाप्त नहीं होती| सदियों के बाद भी भाषा का अस्तित्व बना रहता है|
आज किसी ने कोई बात कही , सैंकडों, वर्षों बाद परिवर्तित स्वरूप में कोई दूसरा व्यक्ति भी उसी बात को कह देता है| अत: निश्चित है की भाषा ही एकमात्र अनन्त है , जिसका कोई अंत नहीं है|
काव्यगत-सौन्दर्य
भाषा की विशिष्टता का वर्णन है कि भाषा अनन्त है|
शैली-वर्णनात्मक और विवेचनात्मक |
छंद-अतुकान्त और मुक्त
गुण-प्रसाद
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से ।
मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से ।।
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी ।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी ।।