निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
वह कली के गर्म से फल रूप में, अरमान आया !
देख तो मीठा इरादा, किस तरह, सिर तान आया !
डालियों ने भूमि रुख लटका दिया फल, देख आली !
मस्तकों को दे रही संकेत कैसे, वृक्ष-डाली ।
फल दिये ? या सिर दिये ? तरु की कहानी–
गूँधकर युग में, बताती चल जवानी !
Answers
प्रसंग:कवि ने अपनी ओजस्वी वाणी में वृक्ष और उसके फलों के माध्यम से युवकों में देश के लिए बलिदान होने की प्रेरणा प्रदान की है|
व्याख्या: हे युवाओं फल के बहार से लड़े हुए वृक्षों की और देखो |वह पृथ्वी की और अपना मस्तक झुकाएं हुए है| कली के अंदर से झाँकते फल कली के संकल्पों को बता रहे है| तुम्हारे हृदय से भी इसी प्रकार बलिदान हो जाने का संकल्प प्रकट होना चाहिए|
वृक्षों की यह शाखाएँ तुम्हें सकेंत दे रही है की ओरों के लिए मर-मिटने को तैयार हो जाओ| जैसे वृक्षों ने फल के रूप में अपने सिर बलिदान दिए है , तुम्हें भी अपना सिर देकर वृक्षों की इस बलिदान परम्परा को अपने जीवन में उतारो ,आचरण में ढालो आगे बढ़ते रहो|
काव्यगत-सौन्दर्य
भाषा -सरल खड़ी बोली
रस-वीर
गुण-ओज
अलंकार – अनुप्रास , उपमा और रूपक
छंद-मुक्त-तुकान्त
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी ।
कौन कहता है कि तू
विधवा हुई, खो आज पानी ?
चल रही घड़ियाँ, चले नभ के सितारे,
चल रही नदियाँ, चले हिम-खण्ड प्यारे;
चल रही है साँस, फिर तू ठहर जाये ?
दो सदी पीछे कि तेरी लहर जाये ?
पहन ले नर-मुंड-माला,
उठ, स्वमुंड सुमेरु कर ले,
भूमि-सा तू पहन बाना आज धानी
प्राण तेरे साथ हैं, उठ री जवानी ।