सामाजिक मनोविज्ञान की परिभाषा लिखिए
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English Mai likhde???
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सामाजिक मनोविज्ञान (Social Psychology) मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत इस तथ्य का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है कि किसी दूसरे व्यक्ति की वास्तविक, काल्पनिक, अथवा प्रच्छन्न उपस्थिति हमारे विचार, संवेग, अथवा व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करती है।[1]। यहाँ 'वैज्ञानिक' का अर्थ है 'अनुभवजन्य विधि'। इस सन्दर्भ मे विचार, भावना तथा व्यवहार मनोविज्ञान के उन चरों (वैरिएबल्स) से सम्बन्ध रखते हैं जो नापने योग्य हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपनी विविध आवश्यकताओं के लिए मनुष्य दूसरे व्यक्तियों से, समूहों से, समुदायों से अन्तःक्रियात्मक सम्बन्ध स्थापित करता है। व्यक्ति के व्यवहार एवं समाज में गहरा सम्बन्ध होता है। सदस्यों के बीच आपसी सम्बन्ध उनके परस्पर व्यवहार पर निर्भर करते हैं। मनुष्य के विचारों, व्यवहारों एवं क्रियाओं का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है। व्यक्ति का व्यवहार सर्वदा एक समान नही होता है। एक ही व्यक्ति कई रूपों में व्यवहार करता हुआ पाया जाता है। उसके विचार, भाव तथा व्यवहार विविध परिस्थितियों में प्रभावित भी होते रहते हैं। स्पष्ट है कि मानव व्यवहार के विविध पक्ष होते हैं। मनुष्य दूसरों के बारे में अलग-अलग तरह से सोचता तथा प्रभावित होता है। सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहारों का वैज्ञानिक अध्ययन है। ऐतिहासिक रूप से इसके विकास में समाजशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों का ही योगदान है।
सामाजिक मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाए
सामाजिक मनोविज्ञान में हम जीवन के सामाजिक पक्षों से सम्बन्धित अनेकानेक प्रश्नों के उत्तरों को खोजने का प्रयास करते हैं। इसीलिए सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करना सामान्य कार्य नही है। राबर्ट ए. बैरन तथा जॉन बायर्न (2004:5) ने ठीक ही लिखा है कि, ‘सामाजिक मनोविज्ञान में यह कठिनाई दो कारणों से बढ़ जाती है : विषय क्षेत्र की व्यापकता एवं इसमें तेजी से बदलाव।’ सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए उन्होंने लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार और विचार के स्वरूप व कारणों का अध्ययन करता है।’’ ऐसा ही कुछ किम्बॉल यंग (1962:1) का भी मानना है। उन्होनें सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्तियों की पारस्परिक अन्तक्रियाओं का अध्ययन करता है, और इस सन्दर्भ में कि इन अन्तःक्रियाओं का व्यक्ति विशेष के विचारों, भावनाओं संवेगो और आदतों पर क्या प्रभाव पड़ता है।’’
शेरिफ और शेरिफ (1969:8) के अनुसार, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान सामाजिक उत्तेजना-परिस्थिति के सन्दर्भ में व्यक्ति के अनुभव तथा व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है।’’
मैकडूगल ने सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो समूहों के मानसिक जीवन का और व्यक्ति के विकास तथा क्रियाओं पर समूह के प्रभावों का वर्णन करता और उसका विवरण प्रस्तुत करता है।’’
विलियम मैकडूगल, (1919:2) ओटो क्लाइनबर्ग (1957:3) का कहना है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान को दूसरे व्यक्तियों द्वारा प्रभावित व्यक्ति की क्रियाओं को वैज्ञानिक अध्ययन कहकर परिभाषित किया जा सकता है।’’
उपरोक्त परिभाषाओं को देखते हुए हम स्पष्टतः कह सकते हैं कि सामाजिक मनोवैज्ञानिक यह जानने का प्रयास करते हैं कि व्यक्ति एक दूसरे के बारे में कैसे सोचते हैं तथा कैसे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।
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