सामाजिक नियंत्रण में धर्म की भूमिका की व्याख्या कीजिए?
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Explanation:
वह इस शक्ति का उपयोग सदस्यों पर नियंत्रण रखने अथवा किसी अन्य समाज के विरुद्ध कर सकता है । सामाजिक नियंत्रण में राज्य द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। धर्म सामाजिक नियंत्रण का प्रमुख साधन है।
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सामाजिक नियंत्रण में धर्म की भूमिका:
व्याख्या:
- धर्म सामाजिक नियंत्रण का एक एजेंट है और इस प्रकार सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करता है। धर्म लोगों को नैतिक व्यवहार सिखाता है और इस प्रकार उन्हें यह सीखने में मदद करता है कि समाज के अच्छे सदस्य कैसे बनें। जूदेव-ईसाई परंपरा में, दस आज्ञाएँ शायद नैतिक व्यवहार के नियमों का सबसे प्रसिद्ध समूह हैं।
- धर्म कम से कम दो तरह से सामाजिक स्थिरता को मजबूत करता है। सबसे पहले, यह लोगों को विश्वासों का एक सामान्य समूह देता है और इस प्रकार समाजीकरण का एक महत्वपूर्ण एजेंट है। दूसरा, धर्म की सांप्रदायिक प्रथा, जैसे कि पूजा के घरों में, लोगों को शारीरिक रूप से एक साथ लाती है, उनके संचार और अन्य सामाजिक संपर्क की सुविधा प्रदान करती है, और इस प्रकार उनके सामाजिक बंधनों को मजबूत करती है।
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