सामाजिक संज्ञान में स्कीमा या अन्वित्तियोजना के महत्व को स्पष्ट कीजिए I
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"एक स्कीमा या अन्वितियोजना एक ऐसी मानसिक संरचना को कहते हैं जो किसी वस्तु या विषय के बारे में सूचना एकत्रित करने के लिए आवश्यक रूपरेखा नियम एवं दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
अन्वित्तियोजना हमारी स्मृति में जमा मौलिक इकाइयों की तरह है जो सूचना के संग्रहण के लिए लिपि का कार्य करती है। इस कारण संज्ञान के लिए वांछित समय एवं मानसिक प्रयास की मांग कम हो जाती है। सामाजिक संज्ञान के संदर्भ में मूल इकाइयां सामाजिक स्कीमा कहलाती है। कुछ अभिवृत्तियां सामाजिक स्कीमा के रूप में कार्य करती हैं । हम अनेक तरह की स्कीमा का उपयोग करते हैं।
ज्यादातर स्कीमा संवर्ग या वर्ग के रूप में होती है संवर्ग के रूप में कार्य करने वाली स्कीमा को आद्यरूप या प्रोटोटाइप कहा जाता है । ये स्कीमा किसी वस्तु को पूरी तरह से परिभाषित करने में सहायक संपूर्ण विशेषताओं या गुणों के सेट होते हैं । लोगों के समूह से संबद्ध संवर्ग आधारित स्कीमा को रुढ़धारणा कहतें हैं । यहां हम उदाहरण द्वारा समझते हैं। माना कि आपको एक समूह ‘क’ को परिभाषित करना है। यदि आप इस समूह के किसी सदस्य को प्रत्यक्ष रूप से नहीं जानते है ना ही किसी से कभी मिले हैं तो संभव है कि आप ‘क’ समूह के प्रतिनिधि या किसी सदस्य के बारे में अपने सामान्य ज्ञान का उपयोग करते हुए अपनी पसंद या नापसंद को जोड़ेंगे। यदि आपने उस समूह के बारे में सकारात्मक बातें सुनी है तो आपका संपूर्ण समूह के बारे में सामाजिक स्कीमा अधिक सकारात्मक होगा और दूसरी ओर यदि आपने समूह ‘क’ के बारे में नकारात्मक बातें ज्यादा सुनी हैं तो आपका सामाजिक स्कीमा नकारात्मक अधिक होगा जो कि रुढ़धारणा के रूप में होगा। जब आप वास्तव में समूह ‘क’ से या उसके किसी सदस्य से मिलोगे तो आपका उनके प्रति व्यवहार या आपके मन में उनकी छवि आपकी रुढ़धारणा से प्रभावित होगी।
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