सामाजिक समस्या पर प्रस्तावना
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एक सामाजिक समस्या, सामान्य रूप से, ऐसी स्थिति है जो एक समाज के संतुलन को बाधित करती है। अगर हम मानव समाज के इतिहास पर दृष्टि डाले तो यह विभिन्न तरह की समस्याओं और चुनौतियों का इतिहास रहा है। समाज चाहे शिक्षित ही क्यों न हो, सभ्य ही क्यों न हो, समस्याएं हर जगह व्याप्त हैं। यही समस्याएं सामाजिक विघटन का कारण हैं।
Explanation:
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भारतीय समाज को कई मुद्दों के साथ जोड़ दिया जाता है जो सामाजिक समस्याओं का रूप ले लेती हैं । फुल्लर और मेयर्स के अनुसार “जब समाज के अधिकाँश सदस्य किसी विशिष्ट दशा एवं व्यवहार प्रतिमानों को अवांछित आपत्तिजनक मान लेते हैं तब उसे सामजिक समस्या कहा जाता है।
एक सामाजिक समस्या, सामान्य रूप से, ऐसी स्थिति है जो एक समाज के संतुलन को बाधित करती है। अगर हम मानव समाज के इतिहास पर दृष्टि डाले तो यह विभिन्न तरह की समस्याओं और चुनौतियों का इतिहास रहा है।
समाज चाहे शिक्षित ही क्यों न हो, सभ्य ही क्यों न हो, समस्याएं हर जगह व्याप्त हैं। यही समस्याएं सामाजिक विघटन का कारण हैं। सामाजिक समस्या को स्पष्ट करते हुए समाजशास्त्री ग्रीन ने कहा है “सामजिक समस्या ऐसी परिस्थितियों का पुंज है जिसे समाज के बहुसंख्यक अथवा पर्याप्त अल्पसंख्यक द्वारा नैतिकतया गलत समझा जा सकता है।”