सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दीजिए।
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Answer with Explanation:
सामाजिक जिम्मेदारी संभालने के लिए तर्क:
(i) अस्तित्व और विकास का औचित्य:
मानव की जरूरतों को पूरा करने के लिए वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करने के लिए व्यवसाय मौजूद है। हालांकि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए लाभ का मकसद एक महत्वपूर्ण औचित्य है, लेकिन इसे लोगों की सेवा के परिणाम के रूप में देखा जाना चाहिए। वास्तव में, समाज की निरंतर सेवा से ही व्यवसाय की समृद्धि और वृद्धि संभव है। इस प्रकार, व्यवसाय द्वारा सामाजिक ज़िम्मेदारी की धारणा इसके अस्तित्व और विकास के लिए औचित्य प्रदान करती है।
(ii) फर्म का दीर्घकालीन हित :
व्यवसाय द्वारा आज निष्पादित किए गए सामाजिक दायित्व भविष्य में व्यावसायिक कार्य की सफलता को सुनिश्चित करते हैं। यह संभव है कि प्रारंभ के वर्षों में सामाजिक दायित्व की पूर्ति करने में अधिक लागत वहन करनी पड़े, लेकिन संबंधित संस्था का भविष्य सुरक्षित हो जाता है।
(iii) सरकारी नियमों से बचाव :
व्यवसाय द्वारा सामाजिक दायित्वों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाने की स्थिति में सरकार को व्यावसायिक पद्धति में अधिक हस्तक्षेप करना पड़ता है जिसका व्यवसाय की प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । अतः व्यवसाय को अधिक सरकारी हस्तक्षेप से बचने के लिए सामाजिक हित के कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
(iv) व्यवसाय समाज का एक अंग है :
व्यावसायिक संस्थाओं का निर्माण समाज में ही होता है । अतः सामाजिक आवश्यकताओं के प्रति इनका सकारात्मक रूख होना चाहिए। व्यवसाय समाज की ही एक उप पद्धति है तथा एक उप पद्धति को मुख्य पद्धति की भलाई में अपना पूरा योगदान दिया जाना चाहिए।
(v) सामाजिक दायित्व के प्रति जागरूकता :
यह संभव नहीं है कि प्रत्येक परिस्थिति के लिए अलग कानून बनाया जाए। वे व्यक्ति जो यह सोचते हैं कि उन्हें वह सब कुछ व्यवसाय से ही प्राप्त हो रहा है जो उसे वास्तव में प्राप्त होना चाहिए। अतः वे अन्य दूसरी असामाजिक गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं जो निश्चय ही सरकारी कानून के अंतर्गत नहीं आती । इससे व्यावसायिक हितों को ठेस पहुंच सकती है। अतः यह आवश्यक है कि व्यावसायिक संगठन सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक हों तथा उन्हें ग्रहण करें।
(vi) व्यवसाय के अनुकूल वातावरण :
यदि व्यवसाय का संचालन ऐसे समाज में होना है जहां जटिल एवं अनेक प्रकार की समस्याएं विद्यमान हैं तो वहां पर सफलता की आशा बड़ी कम होती है । दूसरी ओर श्रेष्ठ समाज ऐसा वातावरण तैयार करता है जो व्यावसायिक कार्यों के लिए अधिक अनुकूल हो । जो व्यावसायिक इकाइयां जनता के जीवन की गुणवत्ता के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, उन्हें अपने व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए परिणाम स्वरूप समाज प्राप्त होगा।
सामाजिक जिम्मेदारी संभालने के विपक्ष में तर्क:
(i) समस्या उन्मूलन दक्षता की कमी :
व्यावसायिक समस्याओं के निराकरण की तर्ज पर सामाजिक समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा सकता है । व्यवसायियों में सामाजिक समस्याओं को सुलझाने की न तो को समझ होती है न ही उनको उस संबंध में कोई अनुभव होता है । यही कारण है कि व्यवसायी सामाजिक समस्याओं को सुलझाने का कार्य सफलतापूर्वक नहीं कर पाते।
(ii) जनसमर्थन का अभाव :
सामान्य रूप से, सामाजिक कार्यक्रमों में व्यावसायिक भागीदारी या हस्तक्षेप पसंद नहीं करती है। अतः कोई भी व्यवसाय जनता के विश्वास और सहयोग के बिना समाजिक समस्याओं को सुलझा पाने में सफलता प्राप्त नहीं कर पाती है।
(iii) अधिकतम लाभ उद्देश्य पर अतिक्रमण :
प्रत्येक व्यावसायिक संस्था का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभोपार्जन करना होता है । अतः किसी भी प्रकार के सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करने की बात इस सिद्धांत के ठीक विपरीत है। हम सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह तभी भली-भांति कर सकते हैं जब अधिकतम लाभ की प्राप्ति संभव हो। ऐसा उसी दशा में किया जा सकता है, जब कार्यकुशलता अधिक एवं लागत मूल्य कम हो।
(iv) उपभोक्ताओं पर अपरोक्ष भार :
सामान्यता प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण जैसी सामाजिक जिम्मेदारियां बहुत महंगी हैं और अक्सर भारी वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है। ऐसी परिस्थितियों में, व्यवसायियों को यह ज़िम्मेदारी दी जाती है कि वे सामाजिक ज़िम्मेदारी के इस बोझ को उपभोक्ताओं से अधिक कीमत वसूलने के बजाय स्वयं वहन करें। इसलिए, सामाजिक ज़िम्मेदारी के नाम पर उपभोक्ताओं पर कर लगाना अनुचित है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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