सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन-किन चीजों पर निर्भर करता है?
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सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम निम्न बातों पर निर्भर करता है।
- लोगों में अपनी पहचान के प्रति दृढ़ता की भावना — यदि किसी एक समुदाय के लोग स्वयं को विशिष्ट मानने लगे और स्वयं को श्रेष्ठ समझने लगे तो उनका अन्य समुदाय के लोगों के साथ तालमेल बैठाना कठिन हो जाता है। लेकिन यदि लोग एक व्यापक और राष्ट्रीय पहचान बनायें और गर्व से स्वयं को उसका हिस्सा मानते हों तो यह समस्या नहीं होती। जैसे कि भारत में विभिन्न भाषा एवं धर्म के लोग रहते हैं लेकिन अनेकता में एकता की उक्ति को चरितार्थ करते हुए लोग सबसे पहले स्वयं को भारतीय मानते हैं। इससे देश की अखंडता कायम होती है और लोगों को प्रेम एवं भाईचारे से रहने में मदद मिलती है।
- राजनीतिक दलों की भूमिका — किसी समुदाय विशेष की मांग को राजनीतिक दल कैसे लेते हैं और उसका निपटारा किस तरह करते हैं। यह महत्वपूर्ण होता है। संविधान के नियमों के अंतर्गत आने वाली किसी भी ऐसी मांग का जिससे दूसरे किसी अन्य समुदाय को नुकसान नहीं पहुंचता हो मान लेना उचित है। लेकिन किसी ऐसी मांग को मान लेना उचित नहीं होगा जिससे किसी दूसरे समुदाय के हितों को चोट पहुंचती हो।
- सरकार का रुख सरकार — किसी समुयाद विशेष की मांगो पर कोई सरकार कैसी प्रतिक्रिया करती है, यह महत्वपूर्ण है। यदि किसी अल्पसंख्यक समुदाय की उचित मांगों को जो संविधान के दायरे में आती हो पूरी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास किया जाए तो सामाजिक विभाजन नहीं होता। ऐसी किसी मांग को राष्ट्रीय एकता के नाम पर दबा दिया जाये तो उसके आगे चलकर दुष्परिणाम हो सकते हैं। बल के प्रयोग से एकता कायम नही होती बल्कि विद्रोह पनपता है, जिसके देर-सवेर दुष्परिणाम ही सामने आते हैं।
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सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम किन किन चीजों पर निर्भर करता है शॉर्ट में दीजिए
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