सामान्यतः व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का ज़िक्र कीजिए जब -
(क) आप अपने ऊपर हँसे हों;
(ख) हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।
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सामान्यतः व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का ज़िक्र कीजिए जब -
(क) आप अपने ऊपर हँसे हों;
ऐसा बहुत बार हो जाता है , की हमें अपने ऊपर भी हंसी आ जाती है|
एक बार मुझे भी अपनी कक्षा में अपने ऊपर हंसी आ गई थी| अध्यापक से मुझसे पूछा और भारत की राजधानी क्या है और मैंने जल्दी-जल्दी में बोला दिल्ली की जगह शिमला ही बोल दिया और सब हँसने लगे और मुझे भी हंसी आ गई की मैंने क्या बोल दिया|
(ख) हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।
एक बार हमारे स्कूल में नाटक चल रहा था | नाटक का शीर्षक था घर-घर की कहानी | सभी छात्र बहुत ही अच्छा कर रहे थे और सब को हंसा रहे थे , नाटक के बीच में ही उस में माँ के बारे में बताया गया था , सब हंस रहे थे की माँ सुबह से शाम डांटती रहती है तुम काम नहीं करते हो | जब बात माँ की आ तो सब का हृदय करुणा से भर आया क्योंकि माँ, माँ ही होती है वह हमेशा डांटती है पर सब का ध्यान रखती है | सब की आँखों में आँसू आ गए|