Hindi, asked by mewrhrjt405, 9 months ago

स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है?

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Answered by bhatiamona
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पाथेय से तात्पर्य मार्ग में मिलने वाली प्रेरणा से है। प्रस्तुत कविता में कवि का जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा है और उसके जीवन में दुखों की अधिकता रही है। कवि ने जो सुखद कल्पनायें की थी, सुखद स्वप्न देखे थे, वे वास्तविक रूप में साकार नही हो पाये और उनकी केवल स्मृतियां ही शेष रह गयी हैं।

जीवन में निरंतर आने वाले संघर्षों के कारण कवि के मन में जीने की उमंग समाप्त हो गई है वह अपने जीवन के दुखों, कष्टों और कटु अनुभवों से निराश हो गया है। उसमें उत्साह की कमी है।

जब कोई यात्री अपने पथ पर आगे नहीं बढ़ना चाहता तब ऐसी स्थिति में पाथेय ही उसे अपने पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार कवि भी अपने जीवन के दुखों और कष्टों से लड़ने के लिए अपनी सुखद स्मृतियों को आधार बनाकर प्रेरणा पाना चाहता है। वो अपने अतीत की सुखद स्मृतियों को पाथेय बनाकर उन्हीं के सहारे अपने जीवन रूपी यात्रा को पूरा करना चाहता है।

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