सुमति कौन था? लेखक से उन्होंने क्या कहा?
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सुमति एक बौद्ध भिक्षुक थे, जो लेखक राहुल सांकृत्यायन के साथ उनकी तिब्बत यात्रा में साथ थे। सुमति ने लेखक से कहा था कि उसने लेखक का इतनी देर इंतजार किया। इस चक्कर में आग तापने में 2 कंडे फूंक दिए और तीन कप चाय पी ली।
सुमति का अपने यजमानों के बीच काफी सम्मान था। वह अपने जवानों को बोधगया से लाये गंडे दिया करते थे। सुमति का स्वभाव मिलनसार और हंसमुख था, वह अपने यजमानों को समय-समय पर मिलते रहते थे। सुमति का यहाँ धर्म गुरु के रूप में सम्मान होता था, उनके परिचय का क्षेत्र बहुत बड़ा था। हालांकि समिति लोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, क्योंकि अक्सर वे अपने जवानों में बोधगया से लाये गंडे समाप्त घंटे समाप्त हो जाने पर साधारण कपड़ों का गंडा बनाकर उन्हें दे दे और बदले में उनसे धन प्राप्त करते थे। सुमति की बौद्ध धर्म में आस्था थी और उन्हें तिब्बत की हर भौगोलिक परिस्थिति का अच्छे से ज्ञान था। सुमति अतिथि सत्कार में एक कुशल व्यक्ति थे और उनका स्वभाव मिलनसार और मधुर था, इस कारण सुमति को सभी लोग आदर और सम्मान देते थे।