Biology, asked by priya11021, 1 year ago

सोनोग्राफी तकनीक का महत्व लिखिए?​

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Answered by Anonymous
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hiii

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Explanation:

जब पराध्वनि को मनुष्य के शरीर के ऊतकों एवं अंगों पर डाला जाता है तो वे उनसे टकराकर वापस आ जाती हैं व प्रतिध्वनियों की एक श्रृंखला की तरह ट्रान्सड्यूसर द्वारा भी ग्रहण कर ली जाती हैं। यह ट्रान्सड्यूसर इनको विद्युत संकेतों में बदल देता है, जिनको एक मॉनीटर द्वारा पर्दे पर प्रदर्शित किया जाता है। यह एक द्विविमीय चित्रों के रूप में दिखाई देते हैं। इसे सोनोग्राफी तकनीकी कहते हैं। इससे किसी अंग, ऊतक की स्थिति, आकृति, आकार तथा गठन (Texture) का पता लगाया जा सकता है।

=> इसके अनेक उपयोग हैं-

इससे गर्भस्थ शिशु की वृद्धि, असामान्यताओं, गुर्दे तथा पित्ताशय की पथरी, आंत्रीय अवरोध, गर्भाशय फैलोपिन नलिकाओं आदि की असामान्यताओं को पता लगाया जाता है। इसका उपयोग प्रमुख रूप से प्रसव एवं प्रसूति निदान किया जाता है।

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Answered by urmiladudi28
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जब पराध्वनि को मनुष्य के शरीर के ऊतकों एवं अंगों पर डाला जाता है तो वे उनसे टकराकर वापस आ जाती हैं व प्रतिध्वनियों की एक श्रृंखला की तरह ट्रान्सड्यूसर द्वारा भी ग्रहण कर ली जाती हैं। यह ट्रान्सड्यूसर इनको विद्युत संकेतों में बदल देता है, जिनको एक मॉनीटर द्वारा पर्दे पर प्रदर्शित किया जाता है। यह एक द्विविमीय चित्रों के रूप में दिखाई देते हैं। इसे सोनोग्राफी तकनीकी कहते हैं। इससे किसी अंग, ऊतक की स्थिति, आकृति, आकार तथा गठन (Texture) का पता लगाया जा सकता है। इसके अनेक उपयोग हैं-

इससे गर्भस्थ शिशु की वृद्धि, असामान्यताओं, गुर्दे तथा पित्ताशय की पथरी, आंत्रीय अवरोध, गर्भाशय फैलोपिन नलिकाओं आदि की असामान्यताओं को पता लगाया जाता है। इसका उपयोग प्रमुख रूप से प्रसव एवं प्रसूति निदान किया जाता है।

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