स्नेह शपथ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
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इतना गहरा कुछ पतन नहीं । आँसू से गीले होते हैं । अरे, देकर देखो । तुम पर शपथें छाईं-छाईं ।
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प्रस्तुत कविता में कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने नेहा और प्रेम का महत्व तथा उसकी शक्ति का प्रभाव समझाया है। चाहे कैसा भी व्यक्ति हो धनी निर्धन परिचित या अपरिचित हमें भूल कर भी किसी से कटु वचन नहीं बोलना चाहिए ।भेदभाव और कड़वाहट भरे रिश्ता में रिश्तो को भी स्नेहा पूर्ण व्यवहार तथा मृदु वचनों से प्रेम के रिश्तो में बदला जा सकता है । नेहा की शक्ति अपार है। वह गिरे हुए व्यक्ति को संभाल सकती है, सही राह दिखा सकती है ।प्रेम तथा स्नेहा द्वारा हर समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है ।
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