सूनामी के तीन कारण बताइए और इसके प्रभाव का वर्णन करें।
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सूनामी के तीन कारण
सुनामी एक बड़ी महासागर लहर है जो समुद्र तल पर अचानक गति के कारण होती है। यह अचानक गति एक , एक शक्तिशाली , या एक पानी के नीचे । एक बड़े प्रभाव से सुनामी भी आ सकती है। सुनामी बड़ी गति से खुले समुद्र में यात्रा करती है और एक तटरेखा के उथले पानी में बड़ी घातक तरंगों का निर्माण करती है।
प्रभाव
1. जन-धन की हानि
सुनामी से तटीय क्षेत्रों में जन-धन की अपार क्षति होती है. 26 दिसम्बर, 2004 को हिन्द महासागर में आए सुनामी से 11 विभिन्न देशों में 2,80,000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी और 10 लाख से अधिक व्यक्ति बेघर हो गए थे. इसके अलावा अरबों रूपए की संपत्ति क्षतिग्रस्त हो गई थी.
2. भू-आकृतियों में परिवर्तन
26 दिसम्बर, 2004 की सुनामी इतनी शक्तिशाली थी कि इससे कई भू-आकृतियों में परिवर्तन हुए. सुमात्रा के निकट कई छोटे-छोटे द्वीप या तो पूर्णतया नष्ट हो गए या उनमं- बड़े पैमाने पर बदलाव हो गया. भारत का दक्षिणतम छोर “इन्दिरा पॉइंट” लगभग पूर्ण रूप से नष्ट हो गया था. भारतीय एवं म्यांमारी प्लेटों के आपस में टकराने से हिन्द महासागर में 1200 किमी. लम्बा तथा 150-200 किमी. चौड़ा भ्रंश उत्पन्न हो गया था.
3. पृथ्वी के घूर्णन गति में वृद्धि
26 दिसम्बर, 2004 की सुनामी से पहले आए भूकंप से इतनी ऊर्जा निकली कि इसने पृथ्वी की घूर्णन गति को 3 माइक्रोसेकेण्ड तेज कर दिया और पृथ्वी के घूर्णन अक्ष में 2.5 सेमी. का विस्थापन हो गया.
4. मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का ह्रास
26 दिसम्बर, 2004 की सुनामी के कारण बहुत से निम्न तटीय भागों में समुद्र का खारा जल भर गया, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का ह्रास हुआ. भारत के तमिलनाडु, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि क्षेत्रों के विशाल भूभाग में मृदा अपरदन हुआ और उसकी उर्वरक शक्ति क्षीण हो गई.
5. महासागरीय जीवन में बदलाव
26 दिसम्बर, 2004 को हिन्द महासागर में आए सुनामी से अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 45% प्रवाल भित्तियां (Coral Reefs) नष्ट हो गई. विद्वानों के अनुसार इसकी क्षतिपूर्ति में 700-800 वर्ष लगेंगे. इसके अलावा सुनामी के कारण हिन्द महासागर में मत्स्य उत्पादन में भी कमी आई है