Hindi, asked by StarTbia, 1 year ago

(६)सुनी-पढ़ी अंधविश्वास की किसी घटना में निहित आधारहीनता और अवैज्ञानिकता का विशलेषण करके लिखिए

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Answered by shailajavyas
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बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था | मेरे पिताजी का स्वभाव वैसे तो बहुत अच्छा था किंतु वह बहुत गुस्से वाले थे | वे शकुन-अपशकुन में बहुत मानते थे | एक दिन की बात है, हमारे यहां पर जो काम वाली महिला आया करती थी उसके तबीयत खराब होने की वजह से उस दिन उसने अपनी बेटी को कामपर भेजा | उसकी बेटी पहली बार काम पर आई थी इसलिए काम करने में घबरा तथा सकुचा रही थी | वह सुबह से काम पर लगी हुई थी उसने घर का सारा काम कर लिया था|  काम की अधिकता के वजह से वह थोड़ी थकी हुई थी | मांँ ने उसे नाश्ता दिया | घर पर कुछ मेहमान आने वाले थे इसलिए मांँ ने उसे कुछ कांच के बर्तन पोछने के लिए दिए, जो कि साफ ही थे, और कहा बेटा तुम्हारा सब काम हो जाने के बाद तुम अपने घर चली जाना | उसने शालीनता से हांँ कहा और अपना काम हो जाने के बाद वह बर्तन पोछने लगी | अचानक उसके हाथ से एक काँच का गिलास छिटककर दूर जा गिरा | वहां पास ही पिताजी बैठे हुए थे | अब क्या था, पिताजी आगबबूला हो गए | मैं मन ही मन सिहर गया | उन्होंने उस लड़की को बहुत डांटा | इसलिए नहीं कि नुकसान  हुआ, गिलास टूट गया बल्कि इसलिए क्योंकि वे अन्धविश्वासी थे | उन्होंने उस लड़की को बहुत बुरा-भला कहा | उसकी आंख से आंसू गिरने लगे यह सब देखकर मेरा मन बहुत खट्टा हो गया | मुझे उस लड़की पर दया से अधिक पिताजी की सोच पर अफ़सोस हो रहा था | मुझे दुख था तो इस बात का कि यदि हाथ से कांच का बर्तन गिर जाएगा तो टूटेगा ही, इसमें अंधविश्वास पालकर अपशकुन मानना, बिना कोई वैज्ञानिक आधार के अपने ह्रदय को जलाना और किसी को डांटना, कहांँ की बुद्धिमानी थी? उस दिन मुझे ऐसा लगा कि अंधविश्वास से पीड़ित होकर हम लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद इन शूद्र बातों में अपनी उर्जा को नष्ट करते हैं और अकारण स्वयं अपनी सोच और कर्तत्व को दूषित कर देते है |
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