Hindi, asked by kurmipratap, 1 year ago

SA on my vision is corruption free India in hindi plzzzzzzzzzzzzzzzzzz help me I need this tomorrow in school

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Answered by Sanaya4203
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hi there...!! here is your answer to the question....
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है। प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है। समाज में अनैतिकता, अराजकता और स्वार्थ से युक्त भावनाओं का बोलबाला हो गया है। परिणाम स्वरुप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरुप धुँधला-सा हो गया है। इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है। भ्रष्टाचार के इस विकराल रुप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक व्यक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है। कमरतोड़ महंगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है। मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ जाने के कारण वह उन्हें पूरा करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है। भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है। किसी भी क्षेत्र में चले जाएं भ्रष्टाचार का फैलाव दिखाई देता है। भारत के सरकारी व गैर-सरकारी विभाग इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण हैं। आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है। मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़वाने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा। स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है। बस इनके तरीके दूसरे हैं। गरीब परीवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा सरकारी स्कूलों व छोटे कॉलेजों तक सीमित होकर रह गई है। नामी स्कूलों में दाखिला कराना हो तो डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। बैंक जो की हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है वे भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीड़ित हैं। आप किसी प्रकार के लोन के लिए आवेदन करें पर बिना किसी परेशानी के फाइल निकल जाए यह तो संभव नहीं हो सकता। देश की आंतरिक सुरक्षा का भार हमारे पुलिस विभाग पर होता परन्तु आए दिन यह समाचार आते-रहते हैं की आमुक पुलिस अफसर ने रिश्वत लेकर एक गुनाहगार को छोड़ दिया। भारत को यह भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है। हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा। सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालना होगा। यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए। जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरुप लेकर विकसित हो। न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य ज्ञान को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करनी होगी। इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है।

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Sanaya4203: okay nice to meet you...
kurmipratap: I am from silchar
Sanaya4203: adieu.
kurmipratap: Your name
kurmipratap: I am priyasmita
Sanaya4203: myself sanaya
kurmipratap: Are you student
kurmipratap: Ok Tata going for tution
kurmipratap: Ciaaaa........
Sanaya4203: yeah I'm student.. studying in class 9th
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