'सिपाही की माँ' एकांकी की कथावस्तु
है
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Answer:
सिपाही की माँ' शीर्षक एकांकी मोहन राकेश द्वारा लिखित “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है। चिट्ठी का इंतजार-गाँव का एक साधारण घर है जिसमें बिशनी नाम की महिला अपनी चौदह वर्ष की लड़की मुन्नी के साथ रहती है। उनके घर का इकलौता बेटा लड़ाई के लिए बर्मा गया हुआ है और वह दिन-रात उसकी चिट्ठी का इंतजार करती रहती है।
Answer:
'सिपाही की माँ' एक एकांकी है जो एक सिपाही की माँ के विषय में है। इस एकांकी में, सिपाही की माँ उसके घर में अकेली बैठी हुई है और उसे अपने बेटे की याद आती है।
Explanation:
वह बेटे के वीरता और समर्पण के बारे में सोचती है जो वह देश के लिए करता है।
सिपाही की माँ को अपने बेटे की बड़ी चिंता होती है जब वह सैन्य अभ्यास या किसी दूरस्थ स्थान पर तैनात होता है। इस एकांकी में उसके मन में उसके बेटे के लिए भी एक खुशी का अनुभव होता है क्योंकि उसका बेटा देश के लिए लड़ता है और उसके लिए यह बड़ी सम्मान की बात होती है।
एकांकी के अंत में, सिपाही की माँ की दुआ होती है कि उसके बेटे लड़ाई में सफल हों और उन्हें सुरक्षित रखा जाए। यह एकांकी देशभक्ति और सेवा के बारे में होती है और सिपाही की माँ जैसी मां का प्रतिनिधित्व करती है जो उनके बेटे के लिए दुआ करती हैं और उनके लिए अपना सब कुछ न्योछावर करती हैं।
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