संप्रत्यय क्या हैं? चिंतन प्रक्रिया में संप्रत्यय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
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संप्रत्यय क्या हैं? चिंतन प्रक्रिया में संप्रत्यय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
संप्रत्यय = जब एक प्राणी परिचित या अपरिचित वस्तु अथवा घटना को देखते हैं तब प्राणी वस्तु या घटना को लक्षणों को ढूंढ कर उनका मिलान पहले से रखी हुई वस्तुओं और घटनाओं को देखकर और पहचान करते हुए पहचानने का प्रयत्न करते है |
जैसे जब हम आम देखते है , तो हमें एक दम ध्यान आता है की यह फल के रूप में वर्गीकृत करते है| | जब हम गाय को देखते है , हम उसे पशु के रूप में वर्गीकृत करते है|
जब मनुष्य नई वस्तु को देखता है तब उस के बारे में खोजने का प्रयत्न करते है, और से तरह-तरह के नाम भी देते है|
जैसे हम रास्ते में चलते है और हमें चार सड़कें एक साथ दिखाई देती है तब उन्हें हम चौराहा कहते है| ऐसे हम बहुत सारी चीजों को देखे और समझ कर उनका नाम रख लेते है|
अधिकतर संप्रत्यय जिस का प्रयोग लोग चिंतन में करते हैं वह न ही स्पष्ट होते है और न ही समझ में आते है | वह अस्पष्ट होते है| वह एक दूसरे के कुछ अंश से मिलते जुलते है तथा प्राय: अस्पष्ट रूप में परिभाषित हो सवंर्ग में रखते है|
जैसे एक छोटे स्कूल को आप किस सकते रखेंगे | यह हम पर निर्भर करता है हम क्या सोच कर इसे रखेंगे| यह कुर्सी से मिलता जुलता है तो हम इसे कुर्सी के सवंर्ग में रखेंगे|
चिंतन प्रक्रिया में संप्रत्यय हम वस्तुओं को देखकर समझ कर , अपने हिसाब से उन्हें सवंर्ग में रख सकते है|
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