सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है
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यह कथन बिल्कुल उचित है,क्योंकि जैसे एक चाकू होता है उसी प्रकार हम मनुष्यों का दिमाग होता है,हुम् इसका अच्छा इस्तेमाल भी कर सकते हैं और बुरा भी।
सिर्फ तर्क करने वाले दिमाग से आशय यह है कि जो मनुष्य सिर्फ अपनी सुनता है और किसी को सुनता नही अर्थात सिर्फ अपनी बात मनवाने पर अडिग रहता है वह अपना नुकसान कर लेता है क्योंकि ऐसे स्वभाव वाले मनुष्यों से लोग ज्यादा बात करना पसंद नही करते और उनसे दूर ही रहते हैं।
सिर्फ तर्क करने वाले दिमाग से आशय यह है कि जो मनुष्य सिर्फ अपनी सुनता है और किसी को सुनता नही अर्थात सिर्फ अपनी बात मनवाने पर अडिग रहता है वह अपना नुकसान कर लेता है क्योंकि ऐसे स्वभाव वाले मनुष्यों से लोग ज्यादा बात करना पसंद नही करते और उनसे दूर ही रहते हैं।
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