Environmental Sciences, asked by Natashamore, 8 days ago

सौर ऊर्जा व पर्यावरण संबंध प्रकल्प कार्यपद्धती ​

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Answered by Anonymous
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सूर्य, ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है । यह दिन में हमारे घर को प्रकाशित करता, कपड़े व कृषि उत्पाद को सूखाता है तथा हमें गर्म रखता है । सौर ऊर्जा पर अधिकाधिक निर्भरता की दृष्टि पर्यावरण के हित में हैं । यह कहीं से विनाशकारी नहीं है । विस्थापन की त्रासदी से भी मुक्त है । यह सस्ती, सुलभ और सहज भी है । अनंत काल से सूर्य दिव्य शक्तियों का अक्षय स्रोत रहा है । विश्व की अनेक संस्कृतियों ने सूर्य को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानकर पूजा की है । अनेक संस्कृतियों के जीवनयापन की पूरी जीवन शैली सूर्य पर आधारित है । सूर्य के उदय के साथ दिन की शुरुआत और अस्त के साथ दिन की समाप्ति वास्तव में पूरी दुनिया में एक जैसी है । सूर्य हर क्षण विद्यमान होता है इसलिए अक्षय ऊर्जा का स्रोत है । पेड़-पौधों को सूर्य से ही ऊर्जा प्राप्त होती है । पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्नोत सूर्य है । सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा सभी जीवों व वनस्पतियों में ऊर्जा का संचार करती है । वैज्ञानिकों की मानें तो एक घंटे में प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा से एक साल तक पूरे विश्व की बिजली की जरूरत पूरी की जा सकती है । सूर्य पूरी धरती पर ऊर्जा की इस कमी को अनंत काल से पूरा करता आ रहा है । अगर हम जीवित रहते हुए विकास करना चाहते हैं तो सूर्य एक अद्भुत विकल्प हो सकता है ।

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