Science, asked by maxheller9488, 8 months ago

सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या तात्पर्य है?

Answers

Answered by niyati150
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Answer:

Explanation:

सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार अथवा सार्वभौम मताधिकार

   उन्नीसवीं सदी में लोकतंत्र के लिए होने वाले संघर्ष अकसर राजनीतिक समानता, आज़ादी और न्याय जैसे मूल्यों को लेकर ही होते थे। एक मुख्य माँग यह रहा करती थी कि सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार हो।

   यूरोप के जो देश तब लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाते जा रहे थे वे सभी लोगों को वोट देने की अनुमति नहीं देते थे। कुछ देशों में केवल उन्हीं लोगों को वोट का अधिकार था, जिनके पास सम्पत्ति थी। अकसर महिलाओं को तो वोट का अधिकार मिलता ही नहीं था।

   संयुक्त राज्य अमरीका में पूरे देश में अश्वेतों को 1965 तक मतदान का अधिकार नहीं था। लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले लोग सभी वयस्कों-औरत या मर्द, अमीर या ग़रीब, श्वेत या अश्वेत-को मतदान का अधिकार देने की माँग कर रहे थे। इसे 'सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार' या 'सार्वभौम मताधिकार' कहा जाता है।

   भारत में 1950 में सार्वभौम मताधिकार की उम्र 21 थी, लेकिन 1989 में यह घटकर 18 वर्ष रह गयी।

Answered by saurabhgraveiens
17

सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव और स्वतंत्र रूप से मत का अधिकार है |

Explanation:

सार्वभौमिक मताधिकार जिसे , सामान्य मताधिकार, और  साधारण आदमी का मताधिकार भी कहा जाता है, सभी वयस्क नागरिकों को धन, आय, लिंग, सामाजिक परिस्थिति, जाति, जातीयता, या किसी अन्य प्रतिबंध, विषय की परवाह किए बिना वोट देने का अधिकार देता है। केवल अपेक्षाकृत मामूली अपवादों तक तो उसे ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते है | यह समानता पर आधारित है, जो लोकतंत्र का एक मूल सिद्धांत है।

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