सुरबाला ने अपने किये पर पछता रहे व्यथित मन मनोहर की स्थिति को समझ कर कैसा व्यवहार किया?
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प्रस्तुत कहानी में सुरबाला और मनोहर एक अच्छे मित्र हैं। जब सुरबाला नदी के समीप मिट्टी का घर बनाती है तब मनोहर उसे तोड़ देता है और जब सुरबाला मनोहर से रुठ जाती है तब मनोहर अपने गलतियों पर पछताने लगता है। सुरबाला मनोहर की इस दशा को देखकर उसे नहीं रहा जाता और वो फिर से मनोहर को मनाने की कोशिश करती है क्योंकि मनोहर सुरबाला का एक अच्छा मित्र है।
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