संरचना की दृष्टि से कितने भेद होते हैं क्रिया के कितने भेद होते हैं
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संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद
१.प्रेरणार्थक क्रिया
२.संयुक्त क्रिया
३.नामधातु क्रिया
४.पूर्वकालिक क्रिया
५.कृदन्त क्रिया
१.प्रेरणार्थक क्रिया - जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने के लिए प्रेरित करे,
वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है । जैसे – करना से करवाना, देना से दिलवाना ।
प्रेरणार्थक क्रिया के दो कर्ता होते है -
१.एक प्रेरक कर्ता २. दूसरा प्रेरित कर्ता
जैसे – पिता पुत्र से पत्र लिखवाता है । यहाँ प्रेरक कर्ता – पिता प्रेरित कर्ता – पुत्र
प्रेरणार्थक क्रिया के दो रुप
मूलधातु प्रथम प्रेरणार्थक द्वितीय प्रेरणार्थक
सुनना सुनाना सुनवाना
पढ़ना पढ़ाना पढ़वाना
लिखना लिखाना लिखवाना
करना कराना करवाना
पीना पिलाना पिलवाना
सीना सिलाना सिलवाना
२.संयुक्त क्रिया – जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर किसी पूर्ण क्रिया को बनाती है, संयुक्त क्रियाएँ कहलाती है ।
जैसे - (क) मैं यह काम कर सकती हूँ ।
(ख) वह अपने घर चला गया ।
यहाँ ‘कर सकता’ पहले वाक्य में और ‘चला गया’ दूसरे वाक्य में दो–दो क्रियाओं का संयोग है । इनमें दो क्रियाओं के मेल से पूर्ण क्रियाएँ बनी है ।
विशेष – यदि सहायक क्रिया अकर्मक हो तो, ‘संयुक्त क्रिया’ भी अकर्मक कहलाती है । और यदि ‘सहायक क्रिया’ सकर्मक हो तो संयुक्त क्रिया भी सकर्मक कहलाएगी ।
३.नामधातु क्रिया – मूल धातुओं से भिन्न – ‘संज्ञा’ ‘सर्वनाम’ ‘विशेषण’ आदि शब्दों से बनने वाली धातुओं को नामधातु क्रिया कहते है । तथा नामधातुओं से जो क्रियाएँ बनती है, उन्हें नामधातु क्रिया कहते है । जैसे – हाथ से हथियाना, बात से बतियाना, गर्म से गर्माना, खटखट से खटखटाना आदि ।
नामधातु क्रियाएँ चार प्रकार के शब्दों से बनती है -
(क) संज्ञा शब्दों से -
लाज लजाना रंग रंगना
झूठ झूठलाना फिल्म फिल्माना
दुख दुखाना शर्म शर्माना
चक्कर चकराना पिना पिलाना
(ख) सर्वनाम शब्दों से _
अपना अपनाना
(ग) विशेषण शब्दों से -
दोहरा दोहराना गर्म गर्माना
साठ सठियाना तोतला तुतलाना
(घ) अनुकरणात्मक शब्दों से –
हिनहिना हिनहिनाना खटखट खटखटाना
थरथर थरथराना झनझन झनझनाना
मिनमिन मिनमिनाना भिनभिन भिनभिनाना
धातु और नामधातु में अन्तर
धातु शब्दों में क्रिया का अंश स्पष्ट होता है । जैसे – चल - चलना, लिख - लिखना
नामधातु में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों को लेकर ‘आ’ प्रत्यय लगाया जाता है ।
जैसे - हाथ - हथियाना (संज्ञा)
अपना – अपनाना (सर्वनाम)
गर्म - गर्माना (विशेषण)
४.पूर्वकालिक क्रिया - जो क्रिया मुख्य क्रिया से पहले पूर्व प्रयोग की जाए, उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते है ।
जैसे - मै पढ़कर लिखुँगा । वह सोचकर बोलेगा ।
यहाँ पढ़कर और सोचकर पूर्वकालिक क्रियाएँ है ।
५.कृदन्त क्रिया - शब्द के अन्त में कृत प्रत्यय के लगने से कृदन्त क्रियाएँ बनती है ।
हिन्दी में मुख्य तीन प्रकार की कृदन्त क्रियाएँ होती है ।
(क) वर्तमान कालिक कृदन्त क्रियाएँ -
जैसे – चल+ता –चलता , पढ़+ता – पढ़ता , दौड़ +ता – दौड़ता , देख+ता –देखता आदि ।
(ख) भूत कालिक कृदन्त क्रियाएँ –
जैसे – चल+आ –चला, दौड़+आ -दौड़ा, देख+आ –देखा आदि ।
(ग) पूर्व कालिक कृदन्त क्रियाएँ –
जैसे – चल+कर – चलकर, दौड़+कर - दौड़कर, देख+कर – देखकर आदि ।