सूरज बंदरगाह के 18 वीं सदी के अंत तक वासियों पर पहुंचने कारण लिखिए
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(i) अधिकतर यूरोपीय कंपनियों के पास भारी संसाधन थे जिसके कारण भारतीय तथा व्यवसायी उनसे प्रतिस्पर्धां करने में कठिनाई का अनुभव कर रहे थे। (ii) यूरोपीय कंपनियां स्थानीय दरबारों से विभिन्न राहतें पाकर शक्ति ग्रहण करती जा रही थी। (iii) कई कंपनियों को व्यापार का एकाधिकार मिल गया था। इन सबके परिणामस्वरूप सूरत और हुगली की बंदरगाहें कमजोर पड़ गई जहां से स्थानीय व्यापारी व्यापार चलाते थे। इन बंदरगाहों से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई । पहले जिस ऋण से व्यापार चलता था। वह खत्म होने लगा। धीरे धीरे स्थानीय बैंकर दिवालिया हो गए। 17 वीं सदी के अंतिम वर्षों में सूरत बंदरगाह से होने वाले व्यापार को कुल मूलय 1.6 करोड़ रूपये था। 1740 के दशक तक यह गिरकर केवल 30 लाख रह गया। समय पाकर सूरत और हुगली कमजोर पड़ गए और बंबई व कलकत्ता उभरने लगे।
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18वीं शताब्दी के अंत तक सूरत बंदरगाह के पतन के कारण:-
- 18वीं शताब्दी के अंत तक सूरत के बंदरगाह में गिरावट आई, क्योंकि भारत में यूरोपीय कंपनियों का प्रवेश और विकास हुआ।
- 18वीं शताब्दी में स्थानीय व्यापारियों ने अपना उत्पाद बेचने के लिए सूरत बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था।
- यूरोपीय कंपनियों के प्रवेश के बाद सूरत बंदरगाह पर स्थानीय व्यापारियों के व्यापार में गिरावट आई। भारतीय व्यापारियों की तुलना में ब्रिटिश व्यापारियों के पास बहुत अधिक संसाधन थे। इसलिए उनके लिए अंग्रेजों से मुकाबला करना मुश्किल था। इसलिए भारतीय उत्पादन कम हो गया।
- कुछ यूरोपीय कंपनियों के पास एकाधिकार अधिकार था जिसके द्वारा केवल उन्हें ही उत्पादों का उत्पादन करने और अपनी पसंद के अनुसार कीमतें निर्धारित करने का अधिकार था।
- कुछ यूरोपीय कंपनियों ने रियायत प्राप्त की जिसके माध्यम से वे अपने उत्पादों को भारतीय व्यापारियों द्वारा निर्धारित कम कीमतों पर बेचने में सक्षम थे।
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