सुरक्षात्मक भेदभाव के तहत किए गए कल्याण के upaay विस्तार में
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हमारे समाज में पुरुष व महिलाओं के बीच भारी असमानता है। महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। घर से लेकर बाहर कार्यस्थल तक उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि उसे यदि उचित अवसर व सुविधाएं मुहैया कराये जाएं तो वह पुरुषों से कम नहीं हैं। लेकिन, स्वतंत्रता के दशकों बाद भी महिलाओं को जो सामाजिक सम्मान मिलना चाहिए, वह प्राप्त नहीं हो सका है।
ये बातें विष्णुपुर स्थित एमआरजेडी कॉलेज में हिन्दुस्तान की ओर से अब नारी की बारी, आओ राजनीति करें विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने ये विचार रखे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उचित सम्मान दिलाने के लिए दहेज प्रथा को खत्म किया जाए। सरकार को इसके लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। दहेज के कारण ही कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं का अंजाम दिया जा रहा है। इसका नतीजा यह है कि दिनोंदिन लैंगिक अनुपात घटता जा रहा है। यह चिंताजनक विषय है। महिलाओं की सुरक्षा आज की तारीख में गंभीर मुद्दा है। खासकर स्कूल व कॉलेजों के पास असामाजिक तत्व मंडराते रहते हैं। बाहर निकलने पर छात्राओं पर छींटाकशी की जाती है। उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है। साथ ही, महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड व अनुमंडल स्तर पर डिग्री कॉलेज व पीजी सेंटर खोलने की मांग उठी।