Hindi, asked by rvish738, 1 month ago

सूरदास
का मन कहाँ सुख पाता
है

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Answered by laxmisharma3337
1

Answer:

मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे

परम गंग को छांड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥ जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै। 'सूरदास' प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै॥ भावार्थ: यहां भक्त की भगवान् के प्रति अनन्यता की ऊंची अवस्था दिखाई गई

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