Hindi, asked by geetathakurathi408, 10 months ago

सूरदास के पद चैप्टर​

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Answered by itzankit21
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मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी?

किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।

तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्नै है लाँबी-मोटी।

काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिन सी भुइँ लोटी।

काचौ दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।

सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।

कबहिं – कब

किती – कितनी

Answered by Anonymous
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सूरदास के पद Page/Excercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1

माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी। श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए।

Solution 2

श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि उनकी चोटी भी बलराम भैया की तरह लम्बी, मोटी हो जाएगी फिर वह नागिन जैसे लहराएगी।

Solution 3

दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक पसंद करते हैं।

Solution 4

'तैं ही पूत अनोखी जायौ' - पंक्तियों में ग्वालन के मन

में यशोदा के लिए कृष्ण जैसा पुत्र पाने पर ईर्ष्या की भावना व कृष्ण के उनका माखन चुराने पर क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं।

Solution 5

श्रीकृष्ण को माखन ऊँचे टंगे छींकों से चुराने में दिक्कत होती थी इसलिए माखन गिर जाता था तथा चुराते समय वे आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह ज़मीन पर गिर जाता है।

Solution 6

दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ बाल स्वभाववश प्राय: श्रीकृष्ण दूध पीने में आनाकानी किया करते थे। तब एक दिन माता यशोदा ने प्रलोभन दिया कि कान्हा ! तू नित्य कच्चा दूध पिया कर, इससे तेरी चोटी दाऊ (बलराम) जैसी मोटी व लंबी हो जाएगी। मैया के कहने पर कान्हा दूध पीने लगे। अधिक समय बीतने पर श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, बलराम भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनंद देता है।

Solution 7

दूसरे पद को पढ़कर लगता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र चार से सात साल रही होगी तभी उनके छोटे-छोटे हाथों से सावधानी बरतने पर भी माखन बिखर जाता था।

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