सूरदास के पठित पदों के आधार पर गोपियों की
विरह दशा का चित्रण कीजिए ।
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यहां सूर के भ्रमरगीत से 4 पद लिए गए हैं। कृष्ण ने मथुरा जाने के बाद स्वयं न लौटकर उद्धव के जरिए गोपियों के पास संदेश भेजा था। उन्होंने निर्गुण ब्रह्मा एवं योग का उपदेश देकर गोपियों की विरह वेदना को शांत करने का प्रयास किया। गोपियां ज्ञान मार्ग की बजाए प्रेम मार्ग को पसंद करती थी इस कारण उंहें उद्धव का शुष्क संदेश पसंद नहीं आया। तभी वहां एक भंवरा आ पहुंचा यहीं से भ्रमरगीत का प्रारंभ होता है।
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