सूरदास खल कारी कमरि चढ़े ना दूजा रंग इस का अर्थ संक्षेप में लिखे
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कारी कामरि पर दूजौ रंग न चढ़ने से कवि सूरदास जी का तात्पर्य यह है कि काले रंग के कंबल पर कोई दूसरा रंग चढ़ाना बहुत मुश्किल होता है। अर्थात् हरि विमुखन व्यक्ति का स्वभाव भी इसी तरह का होता है। उसे कितना भी समझाओ, कितना भी ईश्वर भक्ति का रास्ता दिखाओ पर उसके मन में ईश्वर के प्रति प्रेम नही जागता।
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