Hindi, asked by snkahs, 11 months ago

सीस जटा , उर बाहु , बिसाल , विलोचन लाल , तिरीछी - सी भौहें । तून सरासन बान धरे , तुलसी बन - मारग में सुठि सोहै । । सादर बारहिं बार सुभाय चितै तुम त्यों हमरो मन मोहैं । पूछति ग्राम बधू सिय सों “ कहाँ साँवरे से , सखि रावरे को है ? ​

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Answered by Swarnimkumar22
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सन्दर्भ – महाकवि तुलसीदास हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं । कवितावली तुलसीदास का प्रसिद्ध तथा श्रेष्ठ खण्डकाव्य है । हमारी पाठ्य - पुस्तक की वन - पथ पूर ' शीर्षक कविता कवितावली काव्य में संकलित है जिससे प्रस्तुत पद उद्धृत किया गया है । इसमें रचना वन में जाते समय श्रीराम के सौन्दर्य का वर्णन है । गया है

व्याख्या - श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ वन में जा रहे थे । मार्ग में एक गाँव के पास से गुजरते हैं । ग्रामीण स्त्रियाँ इन्हें देखकर मुग्ध हो जाती हैं । एक स्त्री सीताजी से पूछती है हे सखी ! ये श्याम रंग के कुमार कैसे सुन्दर हैं ! इनके सिर पर जटाएँ हैं । इनका वक्षस्थल तथा भुजा विशाल है । लाल - लाल इनकी आँखें और तिरछी भाँहि हैं । ये तरकस , धनुष तथा बाण धारण किये नहीं हुए हैं तथा वन के मार्ग में अति सुन्दर शोभायमान हैं । ये बड़े अंदर के सायं बार - बार स्वाभाविक ढंग से देखते हैं और हमारे मन का मोहित कर लेते हैं । अन्त में ग्रामीण स्त्री परिहास करती हुई पूछती हैं . हे सखी ! हमें बताओ ये श्याम रंग के कुमार तुम्हारे कौन हैं ?

काव्य - सौन्दर्य -

( 1 ) साँवरे से , सखि रावरे को हैं ? ' में नारी सुलभ जिज्ञासा व्यक्त होती है ।

( 2 ) छन्द - सवैया छन्द ।

( 3 ) अलंकार - अनुप्रास अलंकार ।

( 4 ) रस - श्रृंगारपरक अद्भुत रस की अनुभूति ।

( 5 ) भाषा - शुद्ध साहित्यिक बजभाषा का बजाय प्रयोग है ।

( 6 ) शैली – पाठ्य मुक्तक काव्य में भावुकतापूर्ण चित्रात्मक शैली ।

( 7 ) गुण - माधुर्य गुण ।
Answered by 4996634
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Answer:

Explanaसीस जटा , उर बाहु , बिसाल , विलोचन लाल , तिरीछी - सी भौहें । तून सरासन बान धरे , तुलसी बन - मारग में सुठि सोहै । । सादर बारहिं बार सुभाय चितै तुम त्यों हमरो मन मोहैं । पूछति ग्राम बधू सिय सों “ कहाँ साँवरे से , सखि रावरे को है ? tion:

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