संस्कृत भाषा की लिपी क्या है।
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संस्कृत भाषा की लिपि ‘देवनागरी’ लिपि कहलाती है।
देवनागरी लिपि में भारत की अन्य कई भाषाएं लिखी जाती हैं। जैसे हिंदी, मराठी, नेपाली, भोजपुरी, राजस्थानी, हरियाणवी, मगही, मैथिली, डोगरी आदि।
देवनागरी लिपि बाएं से दाएं लिखी जाने वाली एक लिपि है. जिसमें अक्षरों के ऊपर एक शिरोरेखा होती है।
संस्कृत भारत ही नही पूरे विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है और लगभग सभी भारतीय भाषाओं का विकास संस्कृत से ही हुआ है। इस तरह से संस्कृत सभी मुख्य भाषाओं की जननी है।
संस्कृत भाषा का इतिहास बेहद पुराना है। हिंदू धर्म के लगभग सभी प्राचीन धार्मिक ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही रचित किए गए हैं। आज भी हिंदू धर्म से संबंधित पूजा एवं कर्मकांड में मंत्रोंउच्चारण में संस्कृत भाषा का ही उपयोग किया जाता है।
हालांकि भारत में संस्कृत भाषा बोलने वाले बहुत अधिक लोग नहीं है और जनसामान्य में यह भाषा नहीं बोली जाती है, लेकिन यह भाषा लैट्रिन या ग्रीक जैसी भाषाओं की तरह मृत नही है।
संस्कृत भाषा को देववाणी भी कहा जाता है, और ये एक अमर भाषा है, क्योंकि यह धर्म ग्रंथों और धर्म के कर्मकांडों के माध्यम से आज भी जीवित है। इसकी प्रासंगिकता और महत्व आज भी बना हुआ है। संसार का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद भी संस्कृत में ही रचित किया गया है और हिंदू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के लगभग अधिकतर प्राचीन धार्मिक ग्रंथ संस्कृत में ही रचित किए गए हैं।
संस्कृत भारत की आठवीं अनुसूची में दर्ज की गई एक संवैधानिक भाषा है, जिसमें संस्कृत के अलावा 21 अन्य भारतीय भाषाएं संवैधानिक दर्जा प्राप्त किए हुए हैं, जिनमें हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, कश्मीरी, उड़िया, पंजाबी, सिंधी, मैथिली, संथाली, उर्दू, डोगरी, बोडो, असमिया, कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाएं हैं।
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