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संस्कृत के महान विद्वान उनकी जीवन कथा और उनकी कृतियां संस्कृत में निबंध​

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Answered by priyaverma9892868
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कालिदास संस्कृत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं, उनकी कवित्व शक्ति तथा प्रतिभा के कारण ही कविकुल गुरु उपाधि से उन्हें विभूषित किया गया हैं. वास्तव में कालिदास संस्कृत साहित्य की मणिमाला के मध्यमणि ही हैं. पाश्चात्य एवं भारतीय, प्राचीन व अर्वाचीन विद्वानों की द्रष्टि में कालिदास सर्वश्रेष्ठ अद्वितीय कवि हैं.

उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा ही उन्हें अन्य कवियों की अपेक्षा विशिष्टता प्रदान करती हैं. कुछ विद्वान् उन्हें ईस्वी पूर्व द्वितीय शताब्दी में सिद्ध करते हैं तो कोई छठी शताब्दी ईस्वी में.

अधिकांश विद्वानों के अनुसार कालिदास का जन्म उज्जयिनी में हुआ था. तथा वे शैव धर्मावलम्बी थे. अधिकांश इतिहासकारों की मान्यता है कि कालिदास गुप्तकालीन कवि थे तथा गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के समकालीन थे.

कालिदास की रचनाएँ (Compositions of kalidas)

महाकवि कालिदास के निम्नलिखित सात काव्य ग्रंथ है, जिनकी प्रमाणिकता को सभी विद्वानों ने स्वीकृति प्रदान की हैं. ऋतुसंहार, मेघदूत, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्यवशियम् तथा अभिज्ञानशाकुन्तल. इनमें प्रथम दो गीति काव्य हैं, तृतीय तथा चतुर्थ महाकाव्य हैं तथा अंतिम तीन नाटक हैं. इन कृतियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं.

ऋतुसंहार

यह कालिदास की सर्वप्रथम कृति हैं. यह गीतिकाव्य है जिसमें षडऋतुओं का छः सर्गों में वर्णन हैं. ऋतुओं का वर्णन प्रायः उद्दीपन रूप में हुआ हैं.

मेघदूत

ऋतु संहार की अपेक्षा यह एक प्रौढ़ रचना हैं. यह एक गीतिप्रधान खंड काव्य हैं. इसमें कुबेर के शाप से रामगिरी में निर्वासित एक यक्ष वर्षा ऋतु आने पर मेघ के द्वारा अपनी अलका प्रवासिनी प्रिया को संदेश भेजता हैं. इसके दो खंड हैं पूर्व मेघ तथा उत्तर मेघ.

भाव पक्ष व कला पक्ष दोनों द्रष्टियों से यह एक उच्च श्रेणी का काव्य हैं. इसमें वियोग श्रृंगार रस है, फिर भी नैतिकता की शिष्टता काव्य में सर्वत्र है. पूर्व मेघ में प्रकृति के मनोरम दृश्यों का आकर्षक चित्रण है तथा उत्तर मेघ सौन्दर्य और प्रेम के चित्रण से भरा हुआ हैं. भावाभिव्यंजना तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की द्रष्टि से यह अत्यंत ही सुंदर काव्य हैं.

कुमारसंभव

यह एक महाकाव्य हैं. इस महाकाव्य में पार्वती विवाह, कुमार जन्म, तारकासुर वध की कथा प्रमुख हैं, शेष प्रासंगिक कथायें हैं. इस महाकाव्य में 17 सर्ग हैं. परन्तु कुछ विद्वान् इनमें से प्रथम आठ को ही प्रमाणिक मानते हैं, शेष सर्गों को विद्वानों द्वारा बाद में जोड़ा हुआ माना गया हैं.

उदात्त, सरस एवं कोमल भावाभिव्यक्ति, स्वाभाविक एवं मंजुल कल्पनाएँ, कोमलकांत पदावली, अलंकारों का सहज स्वाभाविक प्रयोग, प्रकृति का सुरग्य चित्रण, तप, समाधि, संयोग, वियोग आदि का वर्णन इस काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं. कुमारसंभव कालिदास की उत्कृष्ट कोटि की रचना हैं.

रघुवंश

रघुवंश महाकाव्य कालिदास सर्वोत्कृष्ट रचना हैं. इस महाकाव्य के 19 सर्गों में सूर्यवंशी 30 राजाओं का वर्णन हैं. रघुवंश महाकाव्य में किसी एक नायक के चरित्र को आधार मानकर एक वंश से उत्पन्न अनेक नायकों को चरित्र चित्रित किये गये हैं.

रघुवंश के 19 सर्गों में सूर्यवंशी राजाओं दिलीप से लेकर राम तथा राम के वंशजों का चरित्र चित्रण किया गया हैं. इस महाकाव्य के प्रथम 9 सर्गों में राम के चार पूर्वजों दिलीप, रघु, अज और दशरथ का वर्णन मिलता हैं तथा दसवें सर्ग से 15 वें सर्ग तक के 6 सर्गों में राम के जीवन वृत्त का वर्णन हैं.

16 वें सर्ग से 18 वें सर्ग तक के चार सर्गों में राम के वंशजों का वर्णन मिलता हैं. 19 वें सर्ग में कामुक अग्निवर्ण का वर्णन मिलता हैं. सभी रसों का सुंदर वर्णन इस काव्य में हुआ हैं. रघु और राम के युद्ध वर्णनों में जहाँ वीर रस का चित्रण हुआ हैं, वहां आर्त विलाप में करुण रस की अजस्र धारा प्रवाहित होती हैं.

एक से एक सुंदर आदर्श रघु वंश में कवि ने प्रस्तुत किये हैं. रघुवंश में रघु के पुत्र अज का इंदुमती से विवाह, इन्दुमति की मृत्यु और अज का करुण विलाप, पुष्पक विमान द्वारा राम और सीता का प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन आदि का आकर्षक चित्रण हुआ हैं.

मालविकाग्निमित्र

कालिदास द्वारा रचित यह नाटक हैं. इसमें पांच अंक है जिनमें शुंगवंश के संस्थापक पुष्यमित्र के पुत्र अग्रिमित्र और मालविका के प्रणय का सुंदर वर्णन किया गया हैं. कवि का यह प्रथम नाटक हैं, अतः काव्य कौशल का प्रौढतम रूप इसमें उपलब्ध नहीं होता, फिर भी नाट्य कला की द्रष्टि से यह एक अत्यंत सुंदर रचना हैं.

विक्रमोर्यवशियम्

कालिदास की नाट्यकला सम्बन्धी विकास की द्रष्टि से इस नाटक का द्वितीय स्थान हैं. पांच अंकों के इस नाटक में पुरुरवा उर्वशी की प्रसिद्ध पौराणिक कथा वर्णित हैं. इसमें कवि ने पुरुरवा तथा उर्वशी के उद्गम प्रेम का चित्रण बड़ी मार्मिकता से किया हैं.

अभिज्ञानशाकुन्तल

यह संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ नाटक हैं. भारतीय परम्परा इस नाटक को संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ नाटक मानती हैं काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला इसकी कथा महाभारत से ली गई हैं. इसमें सात अंक हैं.

इसमें हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत तथा शकुंतला के प्रेम, वियोग तथा पुनर्मिलन की कथा का वर्णन हैं. इसमें श्रृंगार और करुण रस का सुंदर निष्पादन हुआ हैं. कालिदास का यह नाटक नाट्यकौशल का सर्वश्रेष्ठ उदहारण हैं. नाटक का चतुर्थ अंक सर्वश्रेष्ठ हैं. कवि की सबसे महान विशेषता यह है कि इस नाटक का प्रत्येक पात्र चरित्र की द्रष्टि से सुद्रढ़ एवं आदर का पात्र हैं इसमें कविता की कोमलता, भावों की गहराई और उदात्ता आदि का सुंदर समावेश हैं.

निष्कर्ष

कालिदास संस्कृत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं. उनकी प्रतिभा सर्वतोमुखी हैं. महाकाव्य, नाटक तथा गीतिकाव्य सभी क्षेत्रों में उनकी रचनाएँ अनुपम हैं. तत्कालीन समाज के सच्चे रूप तथा सांस्कृतिक चेतना की झांकी हमें उनकी रचनाओं में मिलती हैं. कालिदास की गणना विश्व के महान साहित्यकारों में की जाती हैं.

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