Hindi, asked by sathishboini07, 1 year ago

सांस्कृतिक दृष्टि से हिंदी का क्या महत्व है?​

Answers

Answered by kaushiknitish81
5

Answer:

मातृभाषा किसी व्यक्ति, समाज, संस्कृति या राष्ट्र की पहचान होती है l वास्तव में भाषा एक संस्कृति है, उसके भीतर भावनाएं, विचार और सदियों की जीवन पध्दति समाहित होती है l मातृभाषा ही परम्पराओं और संस्कृति से जोड़े रखने की एक मात्र कड़ी है l राम-राम या प्रणाम आदि सम्बोधन व्यक्ति को व्यक्ति से तथा समष्टि से जोड़ने वाली सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां हैं l उदाहरण के लिए प्रथम सम्बोधन के समय हम हाथ मिलाकर गुड मार्निंग नहीं करते हैं, बल्कि हाथों को जोड़कर राम या अन्य भगवान का नामोच्चारण करते हैं l यह नामोच्चारण एक तरफ हमें मर्यादा अथवा सम्बन्धित भगवान की विशेषता के कारण अर्जित युग-युगान्तकारी ख्याति की याद दिलाता है तो दूसरी तरफ राम जैसे शब्दों का उच्चारण हमारी अन्त:स्रावी (एंडोक्राइन) ग्रंथियों योग की भाषा में चक्रों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है l हाथ मिलाकर हम रोगकारी जीवाणुओं के विनिमय से भी बच जाते हैं l हाल ही में स्वाइन फ्लू से अपने नागरिकों को बचाने के लिए ओबामा दम्पति ने हाथ मिलाने से रोकने हेतु मुठ्ठी भिड़ाने (फिस्ट बम्प) अभियान चलाया था I अमेरिकी वैज्ञानिकों ने फिस्ट बम्प से भी दस प्रतिशत रोगाणुओं के विनिमय का खतरा बताया था यानी हाथ जोड़ना स्वत: ही श्रेष्ठ सिद्ध हो चुका है I

पहले घर के बाहर स्वस्तिक बनाते थे और सुस्वागतम् लिखा होता था और अब कुत्तों से सावधान I बोविस और उनके साथी वैज्ञानिक ने अध्ययन के बाद सिद्ध किया कि स्वस्तिक से सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा निकलती है और यह विश्व की समस्त धार्मिक या अन्य आकृतियों के मुकाबले अनेक गुना ऊर्जा देने वाली आकृति है, जिससे एक मिलियन बोविस ईकाई की ऊर्जा निकलती है I इसीतरह पहले हमारे साथ कुछ अनपेक्षित घटित हो जाता था तो हम भगवान का नाम (हाय राम, या हे भगवान आदि) लेते थे I इसतरह हमारी अपेक्षा परमात्मा की कृपा पाने की होती थी, ताकि परमात्मा को याद दिला सकें कि तेरी कृपा की जरूरत है I जबकि इन दिनों नई पीढ़ी ऐसे अवसरों पर ओह शीट अर्थात् मानव मल को याद करती है, दूसरे शब्दों में कहें तो तत्कालीन अनपेक्षित स्थिति में उनकी अपेक्षा विष्ठा से मदद की हो गई है I भारतीय परम्पराओं के अनुसार तो ऐसे विकट या संकट की घड़ी में भगवान के नाम की तरह अशुभ वस्तु का स्मरण अनिष्ट को आमन्त्रित करने जैसा माना जाता है I विदेशों में सुबह के नमस्कार के लिए गुड मॉर्निंग शब्द का उपयोग होता है I वास्तव में यह गुड मार्निंग शब्द एक तरह से शुभकामना है कि आपको आज सूर्य के दर्शन हो जाएं, क्योंकि कई देशों में सूर्य भगवान साल में केवल 150 -200दिन ही दिखाई देते हैं l इसकारण वहां के लगभग 20% नागरिक सर्दियों में सीजनल अफेक्टिव डिसआर्डर (सेड)से ग्रस्त हो जाते हैं I हम पर तो सूर्य भगवान लगभग हर दिन ही कृपा करते हैं l हमारी मार्निंग तो उस दृष्टि से वैसे ही हर दिन गुड होती है l हाथ जोड़ने, नमन और झुकने की अपनी वैज्ञानिकता है l अर्थात् एक भाषा के नष्ट होने का अर्थ संस्कृति, विचार और एक जीवन पद्धति का मर जाना होता है l इसलिए भाषा को बचाना बहुत जरूरी है lइसे फौरीतौर पर नहीं लिया जाना चाहिए l

Answered by sy9696491591
0

Answer:

kyumi sanskrit aur hindi me Antarctica h

Explanation:

Similar questions